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When I will be Lucky?(भाग्योदय कब)

अगर कोई व्यक्ति तरक्की करता है या उसकी अवनति होती है, तो इसे उसका भाग्य कहा जाता है, जिसे हर कोई पढ़ना चाहता है। ज्योतिष शास्त्र में हर बात की जानकारी दी गई है। जन्मकुंडली में नवम भाव को भाग्य स्थान कहा गया है। असल में इस घर से जातक के भाग्य के बारे में पता चलता है कि उसका भाग्योदय कब, कितने वर्ष की अवस्था के बाद कहां होगा, जातक भाग्यवान है या अभाग्यवान तथा भाग्य साथ दे रहा है कि नहीं, यदि नहीं तो भाग्य को बलवान करने के लिए कौन-सा रत्न धारण करें, या क्या उपाय करें, यह सब नवम स्थान से पता चलता है, इसे धर्म स्थान भी कहते हैं। कभी-कभी यह देखा जाता है कि पति-पत्नी दोनों के भाग्य मिलकर भाग्योदय का योग बनाते हैं, इसलिए यहां पर सारे भावों को छोड़कर ज्योतिषी को सावधानी से केवल भाग्य भाव का सर्वप्रथम विचार करना चाहिए। ऐसा ही निर्देश 16वीं शताब्दी में ऋषि मानसागर विक्रम संग्रहित ‘मानसागरी’ में दिया गया है। आयु, भाई, बहन, माता, पिता ये सब भाग्य भाव के ही प्रतीक है। मानसागरी के अनुसार वही व्यक्ति कुलीन है, वही विद्वान, वही वक्ता है, वही सब गुणों से युक्त है, जो भाग्यवान है, क्योंकि सबकुछ भाग्य से ही मिलता है। 

कुछ व्यक्ति जन्म से भाग्यवान होते हैं, जबकि कुछ कर्म से स्वयं को भाग्यवान बनाते हैं। वही कुछ का भाग्य विवाह के बाद ही खुलता है। मानसागरी के अनुसार सूर्य 22वें, चन्द्रमा 24वें, मंगल 28वें, बुध 32वें, गुरु 16वें, शुक्र 27वें शनि 32 या 36वें वर्ष में भाग्योदय करता है। अगर व्यक्ति की कुंडली में नवें भाग्य स्थान पर मेष अथवा वृश्चिक राशि लिखी हो, उस व्यक्ति का भाग्येश मंगल होता है। ऐसे व्यक्तियों को भाग्योदय के लिए मूंगा रत्न धारण करना चाहिए। इसी प्रकार यदि जन्मकुंडली में नौवें भाग्य स्थान पर वृष अथवा तुला राशि हो, तो भाग्येश शुक्र का रत्न हीरा व्यक्ति का भाग्योदय करता है। मिथुन अथवा कन्या राशि भाग्य स्थान पर अंकित हो, तो व्यक्ति का भाग्योदय बुध का रत्न पन्ना से होता है। भाग्य स्थान पर कर्क राशि होने से चंद्रमा का रत्न मोती भाग्योदय का कारण बनता है और भाग्य स्थान पर सिंह राशि होने पर सूर्य का रत्न माणिक्य व्यक्ति को सफलता की ऊंचाईयों तक ले जाता है। 

जिन व्यक्तियों की कुंडली में भाग्य स्थान पर मकर या कुंभ राशि अंकित हो, उन्हें शनि की शुभाशुभ स्थिति को ध्यान में रखकर भाग्योदय हेतु नीलम धारण करना चाहिए। धनु अथवा मीन राशियां भाग्य स्थान पर हों, तो पुखराज पहनकर व्यक्ति अपने भाग्य को बलवान कर सकता है। 

इसके अलावा जिसकी जन्मपत्रिका में भाग्येश अष्टम, छठे अथवा बारहवें स्थान पर हो, तो ज्योतिष शास्त्र अनुसार ऐसे व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिलता है। इसलिए भाग्यशाली जीवन निर्माण करने के लिए भाग्य संबंधित रत्न उस व्यक्ति को धारण करना चाहिए। ताकि उसका सौभाग्य प्रकट हो सके। 

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