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Sixth House in Birth Chart (जन्म पत्रिका से जाने रोग)

फलित ज्योतिष के अंतर्गत विभिन्न रोग एवं उनके कारणों का ज्योतिष आधार पर अध्ययन किया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति जीवन में किसी न किसी रोग से पीड़ित अवश्य रहता है। ज्योतिष के अनुसार ये सभी तथ्य प्राय: जन्म पत्रिका में ग्रहों की भावगत एवं राशिगत स्थितियों और दशा अंतर्दशा पर निर्भर करते हैं। 

बात करें लग्न भाव की, तो जन्म पत्रिका में यह पूरे शरीर को दर्शाता है। षष्ठम भाव रोगों और अष्टम भाव आयु का प्रतीक है। इस तरह तीनों भावों से रोगों का पता चल जाता है। पर कोई ग्रह रोग प्रदायक बन रहा है या नहीं, इसका निर्धारण इन बातों से किया जा सकता है। छठे भाव में जो ग्रह उपस्थित होता है, वह अपनी प्रकृति के अनुसार रोग देता है। 

षष्ठेश जिस ग्रह से युति संबंध बना रहा होता है, उस ग्रह से संबंधित रोग होने की भी पूर्ण आशंका होती है। जो ग्रह जन्म पत्रिका में नीच राशि, शत्रु राशि अथवा अत्यंत अशुभ स्थिति में होता है, उसे भी पीड़ादायी माना जाता है। लग्न पर जिस पाप ग्रह की शत्रु अथवा नीच दृष्टि हो, उस ग्रह से संबंधित रोग या पीड़ा होने की भी आशंका होती है। हर ग्रह का अपना प्रभाव है, जिससे शरीर को रोग भी होते हैं : 

सूर्य : इस ग्रह के अशुभ होने से पित्त, उदर संबंधी रोग, न्यूरोलॉजी संबंधित रोग, नेत्र रोग, हृदय रोग, सिर के रोग आदि की आशंका होती है। साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। 

चंद्रमा : अगर चंद्रमा ठीक न हो, तो व्यक्ति फेफड़े, अस्थमा, जल की अधिकता या कमी से संबंधित रोग, किडनी संबंधी रोग आदि से पीड़ित होता है। 

मंगल : इस ग्रह के अशुभ होने से गर्मी के रोग, विषजनित रोग, खुजली, रक्त संबंधी रोग, गर्दन एवं कंठ, रक्तचाप जैसी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। 

बुध : इस ग्रह के अशुभ होने पर जातक को नसों एवं छाती से संबंधित रोग, पागलपन, लकवा, थॉयरॉयड, अल्सर, मुख के रोग, चर्म रोग, वाणी दोष आदि परेशानियां होती हैं। 

गुरु : अगर किसी की कुंडली में गुरु की स्थिति खराब हो, तो लीवर, किडनी, तिल्ली, कान, दांत से संबंधित रोग, पीलिया, मधुमेह, याददाश्त में कमी आदि बीमारियां होती हैं। 

शुक्र : वैसे तो शुक्र वैभव देने वाला ग्रह है। पर अगर यह गलत स्थान में बैठा हो, तो जननेंद्रिय संबंधी रोग, मादक द्रव्यों के सेवन से उत्पन्न रोग आदि होते हैं। 

शनि : इस ग्रह के खराब होने पर शारीरिक कमजोरी, दर्द, घुटनों या पैरों में होने वाला दर्द, त्वचा संबंधी रोग आदि बीमारियां होने की आशंका होती है। 

राहु : हालांकि यह छाया ग्रह है, पर इसके नकारात्मक होने पर व्यक्ति को मस्तिष्क संबंधी विकार, यकृत संबंधी बीमारियां, पशुओं या जानवरों से शारीरिक कष्ट आदि से जूझना पड़ता है। 

केतु : इस ग्रह के गड़बड़ होने पर जातक को वातजनित बीमारियां, रक्त दोष, चर्म रोग, एलर्जी आदि परेशानियां होती हैं।

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