Brother of Laxmi (शंख)
शंख यानी मां लक्ष्मी का भाई। अथर्ववेद के अनुसार, ‘शंख को शत्रुओं को परास्त करने वाला, पापों से मुक्ति दिलाने वाला, पिशाचों को वशीभूत करने वाला एवं रोगों और दरिद्रता को नाश करने वाला बताया गया है।’ जब शंख का पेट बाईं ओर खुला हो, तो वे वामवर्ती शंख कहलाते हैं। जिन शंखों का पेट दाईं ओर खुला हो, उसे दक्षिणवर्ती शंख कहते हैं। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, ‘भगवती लक्ष्मी के सर्व प्रयोगों में दक्षिणावर्ती शंख अनिवार्य है। इसके प्रयोग से धनागम होता है।’ दक्षिणावर्ती शंख सामान्य एवं टाइगर के रूप में पाया जात है। टाइगर शंख उन लोगों को प्रयोग में लाना चाहिए, जो शनि, राहु, केतु इत्यादि अनिष्ट ग्रहों से पीड़ित होते हैं। इसका विशेष लाभ होता है। दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना पंचामृत एवं गंगाजल से स्नान कराएं, इसके बाद लाल चंदन अथवा रोली से उस पर ‘श्री’ अंकित करें। शंख की स्थापना पूर्व से पश्चिम दिशा में करनी चाहिए। इसे हमेशा जल एवं सिद्ध द्रव्य से भरकर रखना चाहिए और इसी से अभिषेक करना चाहिए।
Post a Comment