Header Ads

ad

नवग्रह आराधना (Navagraha Mantra for removing Obstacles)

धरती पर जितने भी प्राणी हैं, वे किसी न किसी कष्ट से पीड़ित होते रहते हैं। कई परेशानियों का निवारण दवा से हो जाता है, पर कुछ कठिनाइयों को दूर करने के लिए नवग्रह देवों की आराधना व उनसे संबंधित जड़ धारण करना उपयोगी माना जाता है।  

सूर्य: अगर जातक पर सूर्य ग्रह कुपित हैं, तो वह मस्तिष्क रोग, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, उदर विकार आदि से पीड़ित होता है। ऐसे जातक श्वेतार्क की जड़ को रवि पुष्य नक्षत्र में पूजन करके दाहिने हाथ में धारण करें और यथाशक्ति सूर्य मंत्र "ॐ घृणि सूर्याय नम:" का जप करें। 

चंद्र: यदि जातक की कुंडली में चंद्र ग्रह क्षीण हो, तो उसे अस्थमा, हिस्टीरिया, मानसिक रोग, नेत्र रोग, ट्यूमर, ठंड जनित रोगों के होने की आशंका होती है। ऐसे जातकों के लिए पलाश की जड़ या उसकी लकड़ी धारण करना सही माना गया है तथा प्रतिदिन निश्चित संख्या में "ॐ सोम सोमाय नम:" का जप भी इन्हें लाभ देगा। 

मंगल: यदि जातक मंगल ग्रह के दुष्प्रभाव से परेशान है, तो उसे पक्षाघात, गले का रोग, हार्निया, रक्ताल्पता, फोड़े-फुंसी आदि संबंधी रोग होने की आशंका रहती है। ऐसे जातकों के लिए खैर की लकड़ी का प्रयोग ताबीज में करना उचित रहता है। वैसे "ॐ अं अंगारकाय नम:" मंत्र या हनुमान चालीसा का पाठ करना भी श्रेयस्कर रहेगा। 

बुध: बुध ग्रह से पीड़ित होने पर जातक मस्तिष्क विकार, वाणी दोष, स्मृति ह्रास आदि परेशानियों से घिर जाता है। ऐसे जातकों के लिए अपामार्ग की जड़ धारण करना लाभदायक रहता है। साथ ही "ॐ बुं बुधाय: नम:" मंत्र का नियमित रूप से जप करना भी इन्हें बुध की पीड़ा से बचाता है। 

गुरु: जब जातकों पर बृहस्पति यानी गुरु ग्रह की अशुभता हो, तो उन्हें पीलिया, मोतियाबिंद, रक्त कैंसर, श्वसन रोग आदि व्याधियां होने की आशंका रहती है। ऐसे जातकों के लिए गुरु पुष्य नक्षत्र में केले की जड़ धारण करने के साथ ही अगर "ॐ गुरुवे नम:" का जप करें, तो जातकों को गुरु जनित पीड़ा से मुक्ति मिल जाएगी। 

शुक्र: इस ग्रह से यदि पीड़ा हो, तो जातकों को त्वचा या मूत्र रोग, मधुमेह आदि के अलावा कुछ छिपी हुई गंभीर बीमारियां होने की आशंका रहती है। इसलिए ऐसे जातक अगर गूलर की जड़ धारण करें और "ॐ भृगुवे नम:" मंत्र का निश्चित संख्या में नियमित रूप से जप करें, तो इन पर से शुक्र की पीड़ा समाप्त हो जाती है। 

शनि: अक्सर लोगों को कोई पीड़ा होने पर वे सोचते हैं कि शनि ग्रह की वजह से ऐसा हो रहा है। पर यदि जातकों को श्रवण शक्ति में ह्रास, दांत रोग, कैंसर, गठिया, ब्लड प्रेशर, हांथ-पांव में कंपन आदि परेशानियां हों, तो उन पर शनि का प्रकोप माना जा सकता है। ऐसे में जातकों के लिए शमी की जड़ धारण करना सही रहेगा और साथ ही वह "ॐ शं शनैश्चराय नम:" का जप करें, तो शुभ फल देगा। 

राहु और केतु: राहु और केतु मनुष्य को क्रमश: ऊपरी और निचले अंगों में शनि और मंगल के समान रोग और व्याधियां देते हैं। राहु जनित रोगों के निवारण के लिए "ॐ रां राहवे नम:" और केतु जनित परेशानी दूर करने के लिए "ॐ कें केतवे नम:" का नियमित जप करें।

ॐ ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरान्तकारी भानुः शशि भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्रः शनि राहु केतवः सर्वे ग्रहाः शांति करा भवन्तु ॥

1 comment:

  1. I am 30 years old and married person. But, I am not getting a permanent job till now. I ever faces such diseases like sinus, piles etc. I also faced financial problem which affect me most. So please give solution in this regard. My Date of Birth : 11 February 1982 and birth time 6.00 am. Birth Place : Tezpur, Assam, India.

    ReplyDelete

अगर आप अपनी समस्या की शीघ्र समाधान चाहते हैं तो ईमेल ही करें!!