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मेरी शादी कब होगी! (When I Got Married)

विवाह का बंधन केवल मनुष्यों की इच्छा से नहीं होता, बल्कि इसमें ज्योतिष या दूसरी विधाओं की भी भूमिका होती है। अक्सर देखा जाता है कि विवाह का लाख प्रयास करने से भी विवाह का योग नहीं बनता। जिसकी सबसे बड़ी वजह लड़के या लड़की की कुंडली में सही समय का न आना कहा जाता है। इसलिए आज भी ऐसे कार्यों में ज्योतिष शास्त्र की सहायता ली जाती है। इससे यह तो पता चलता ही है कि जातक की शादी कितनी उम्र में होगी, बल्कि कुशल ज्योतिष दिशा एवं वर या वधु के गुणों की भी जानकारी कर सकते हैं। 
  • जब जन्म कुंडली में सप्तम भाव व सप्तमेश बलवान हो और लग्न या द्वितीय भाव या सप्तम भाव अथवा एकादश भाव में हो, तो ऐसे जातक का विवाह 20-22वें वर्ष में होता है। 
  • अगर जन्म कुंडली में सप्तमेश बलवान हो तथा शुक्र केंद्र अथवा त्रिकोण में हो, तो लड़के का विवाह 24-26वें वर्ष में होता है। इसी प्रकार कन्या की जन्म कुंडली में सप्तमेश बलवान हो और गुरु त्रिकोण अथवा केंद्र में मित्र राशि या स्वगृही अथवा उच्च राशि में विराजमान हो, तो कन्या का विवाह अच्छे, संपन्न परिवार में 22 से 24 वर्ष की आयु में होता है। 
  • अगर जन्म कुंडली में चंद्रमा सातवें स्थान में शुक्र हो तथा उस राशि का स्वामी एकादशी स्थान में हो, तो बालक का विवाह 27 वर्ष की आयु में होता है। 
  • अगर कन्या जन्म कुंडली में गुरु चंद्रमा से सातवें स्थान में हो, तो कन्या विवाह बिना किसी बाधा या अड़चन के 22-24 वर्ष की आयु में हो जाता है। 
  • यदि जन्म कुंडली में सप्तमेश मित्र राशि, स्वराशि अथवा उच्च राशि में सप्तम भाव में बुध के साथ हो, तो विवाह 19 से 21 वर्ष की आयु में संपन्न हो जाता है। 
  • जन्म कुंडली में यदि मंगल लग्न अथवा चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव या घर में हो तथा सप्तमेश शत्रु राशि में अथवा त्रिकोण भाव में अथवा कमजोर हो, तो लड़का या लड़की का विवाह 28 या 29 वर्ष की आयु के बाद ही बाधाओं के बाद होता है। 
  • यदि कुंडली में लग्न भाव, द्वितीय भाव अथवा सप्तम भाव में नीच या शत्रु ग्रह विराजमान हों, तो जातक के विवाह कार्य में कई बाधाएं आती हैं और तमाम कोशिशों के बाद भी विवाह 28-29 वर्ष की आयु के बाद होता है। 
  • अगर लग्नेश सप्तम भाव में तथा सप्तमेश लग्न में हो और दोनों ग्रह अपनी-अपनी मित्र राशि में हों, तो ऐसे जातकों का विवाह 18 वर्ष की आयु में हो जाता है। 


इन ग्रह दशा में विवाह होता है। 
  • सप्तमेश के साथ यदि कोई ग्रह हो, तो उस ग्रह की दशा या अंतर्दशा में विवाह कार्य संपन्न होता है। 
  • सप्तम स्थान में विराजमान ग्रह जब मित्र राशि, स्व राशि, स्वग्रही अथवा उच्च राशि में हो, तो उसकी दशा या अंतर्दशा में विवाह होता है। 
  • दशमेश अथवा अष्टमेश शुभ राशि में, मित्र राशि में अथवा किसी भी प्रकार से बलवान हो, तो उसकी दशा या अंतर्दशा में विवाह संपन्न होता है। 
  • यदि लड़के की जन्म कुंडली में शुक्र जिस राशि में स्थित है, उस राशि का स्वामी जन्म कुंडली में त्रिक भाव में न हो, तो उस ग्रह की दशा या अंतर्दशा में जातक का विवाह संपन्न होता है। 
  • धन भाव या द्वितीय भाव का स्वामी जिस राशि में हो, उस राशि के स्वामी की दशा या अंतर्दशा जब आती है, तो जातक का विवाह कार्य संपन्न होता है।

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