Maha Dasha (महादशा क्या हैं और बचाव)
ज्योतिष में ग्रहों की गति अवस्था, दशा-महादशा एवं गोचर के आधार पर किसी भी व्यक्ति के जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव, सुख-दुख, उन्नति का अनुमान लगाया जा सकता है।
सूर्य महादशा: यदि जातक की सूर्य की महादशा चल रही है और सूर्य अशुभ स्थान का स्वामी हो, तो ऐसी स्थिति में सूर्य के मंत्र ॐ घृणि: सूर्याय नम: का जप करना श्रेष्ठ है। वैसे सूर्य आदित्य स्तोत्र का पाठ करना और अनामिका उंगली में तांबे का छल्ला या माणिक्य धारण करना भी शुभ होगा। जातक चाहें तो सूर्य की चीजें जैसे- मसूर की दाल, लाल वस्त्र, अनार, लाल चंदन, गुड़ आदि का दान कर सकते हैं।
चंद्र महादशा: अगर यह महादशा चल रही है, तो चंद्र के मंत्र ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम: का जप करने और शिव तथा पार्वती की पूजा करने, रुद्राभिषेक करने से लाभ होगा। सोमवार तथा पूर्णिमा को दूध तथा अक्षत तथा श्वेत चंदन मिश्रित जल से अर्घ्य प्रदान करने, गले में चांदी का चंद्रमा धारण करने तथा कनिष्ठा में मोती धारण करने से भी लाभ होता है।
मंगल महादशा: इस महादशा के दौरान हनुमान जी की पूजा या उनके निमित्त जप करने का पूर्ण लाभ मिलता है। ॐ अं अंगारकाय नम: का जप तथा लगातार सात मंगलवार तक हनुमान जी को चोला तथा लाल लंगोट चढ़ाने से भी लाभ होता है। बंदरों को गुड़-चना खिलाने, मंगल की वस्तुओं का दान तथा अनामिका उंगली में तांबे का छल्ला या मूंगा धारण करने से भी लाभ मिलता है।
बुध महादशा: यदि बुध की महादशा या अंतर्दशा चल रही है और बुध अशुभ हो, तो प्रतिदिन बुध के मंत्र ॐ बुं बुधाय नम: का जप, मां दुर्गा का पूजन, दुर्गा सप्तशती या दुर्गा सप्तश्लोक के मंत्रों का पाठ, प्रतिदिन गाय को हरी घास तथा पालक खिलाने, गौ सेवा करने तथा बुध की वस्तुओं का दान करने से लाभ होगा। साथ ही कनिष्ठा उंगली में पन्ना या ओनेक्स धारण करने से लाभ होगा।
गुरु महादशा: अगर गुरु की महादशा चल रही है और गुरु पीड़ित हो, तो गुरु के मंत्र ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम: का जप करने, भगवान विष्णु की पूजा करने, पीले वस्त्र धारण करने, केले के वृक्ष में घी का दीया जलाकर चने की दाल, हल्दी, पीले पुष्प, पीला नैवेद्य, गुड़ आदि दान करने से पूजन करने से लाभ होता है। साथ ही सुनैला या पुखराज तर्जनी उंगली में धारण करने से लाभ होगा।
शुक्र महादशा: ऐसी परिस्थिति में और शुक्र के अशुभ होने पर ॐ शुं शुक्राय नम: का जप तथा मां लक्ष्मी की पूजा व श्रीसूक्त का पाठ करने से लाभ होता है। साथ ही शुक्र की वस्तुओं का दान व हीरा या ओपल धारण करने से भी शुक्र की महादशा में लाभ मिलता है।
शनि महादशा: यदि शनि की महादशा चल रही है और शनि अशुभ हो, तो ॐ शं शनैश्चरायै नम: का जप करने के अलावा शनिवार व मंगलवार को हनुमान जी का दर्शन-पूजन लाभदायी रहता है। साथ ही असहायों की सेवा, काले कुत्ते को रोटी देने और पीपल के वृक्ष के नीचे दीप जलाना भी फायदेमंद रहता है।
राहु महादशा: इस दशा में राहु के मंत्र ॐ रां राहवे नम: का नियमित जप, शंकर जी तथा भैरव जी का पूजन करने, काले कुत्ते को रोटी तथा पक्षियों को जौ देने से लाभ होता है। गोमेद धारण करना भी शुभ रहता है।
केतु महादशा: केतु की महादशा में इसके मंत्र ॐ कें केतवे नम: का जप तथा श्रीगणेश की पूजा लाभदायी मानी जाती है। इसके अलावा पक्षियों को बाजरा, देवस्थान में कंबल दान करने, गणेश मंदिर में लाल ध्वज लगाने तथा मध्यमा उंगली में लहसुनिया धारण करने से भी दशा शुभ हो जाती है।
santosh pusadkar
ReplyDeleteआप ने जो बताया सही है. आप को धन्यवाद करता हू..कन्या लग्न कुंडली है. केतू दिव्तीय मै , शनी तृतीय ,गुरु पंचम बुध शुक्र.चंद्र सप्तम मै , रवी राहू अष्टम मै. मंगल नअवं मै है . कृपया मागदर्शन करे.
प्रिय संतोष जी,
ReplyDeleteजो जानकारी आपने दी उसके अनुसार आपकी कुंडली मे अच्छी श्रेणी के राजयोग है। केतु की स्थिति दर्शती है कि पैसा अचानक से निकल सकता है अतः सदैव सावधान रहे या गणपति पुजन करे। महालक्ष्मी योग भी आपकी पत्रिका मे है। शुक्र का रत्न भाग्य और फलो मे वृद्धि करने वाला साबित हो सकता है। रवि भी विपरित राजयोग का निर्माण करता है। किस क्षेत्र मे ध्यान डालना है यह तो अपने बताया नही जी।
guruji prannam, aap par ghyan ki devta prasana hai
ReplyDeletedob 18-04-1985
dot 06-00pm
dop nagpur mahrashtra
kya kahti hai. meri kundali
गुरूजी कन्या लग्न हो गुरु में राहू का अंतर हो तो क्या ऊपर वर्णित गुरु एवं राहू के उपाय कर सकते है या नहीं, कृपया मार्गदर्शन करें | वीरेन्द्र - २७-७-१९७२, १०:५५ ए एम , भरतपुर राजस्थान
ReplyDeletemahalaxmi yog ka kya phal hai?
ReplyDeleteइसका फल यह है कि उस जातक को धन की निरंतर प्राप्ति होती रहती है। यदि कभी बरा वक्त आ भी जाये तो ज्यादा समय नही ठहरता। इसका मतलब यह नहीं है कि उसे कभी जनकल्याण के बारे मे नहीं सोचना चाहिए। ऐसे जातक को देवी अर्गला स्त्रोत्रं का जप बहुत ही लाभदायक रहता हैं।
ReplyDeleteखुबी राम जी निसंकोच आप यह उपाय करें। यदि मान्स शराब के सेवन से दुर रहे तो बहुत कुछ ठीक हो सकता हैं।
ReplyDeleteनमस्ते गुरुजी, मेरा नाम रूचि है, कर्क लग्न की कुंडली में सूर्य और राहु है, दूसरे में गुरु, तीसरे में शनि और मंगल, सप्तम में केतु और चंद्र, एकादश में शुक्र और द्वादश में बुध है, मेरी गुरु की महादशा 25 मई 2012 में शुरू हुई है कृपा करके बताएँ की क्या यह अच्छी है या बुरी क्यूंकी गुरु 6th घर का भी स्वामी है और मेरी शादी को साढ़े सात साल हो गये है कोई संतान नही है. आपकी बहुत कृपा होगी मदद करने के लिए.
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