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मन्दिर मे सावधानी (Beware in Temple)

मंदिर यानी ईश्वर के रहने की जगह। इसलिए इस जगह को हमेशा साफ-सुथरा एवं आध्यात्मिक माहौल वाला बनाए रखने का प्रयास किया जाता है। पर यह बात केवल मंदिर के पुजारी या व्यवस्थापकों पर ही लागू नहीं होती, बल्कि भक्तों को भी मंदिर में किसी तरह की गलती या अपराध करने से बचना चाहिए। जैसे कभी भी जूते या चप्पल पहने हुए ही मंदिर में देव दर्शन करने की चेष्टा नहीं करनी चाहिए। साथ ही कभी भी भगवान को एक हाथ से नमन नहीं करना चाहिए। अगर आप अशुद्ध अवस्था में हैं, तो देव दर्शन से बचें। खासकर मंदिर जाने से बचें। मंदिर में कभी भी एक ही स्थान पर खडे-खड़े परिक्रमा न करें। साथ ही देव प्रतिमा के सामने कभी भी पैर फैलाकर या उनकी तरफ पैर दिखाकर न बैठें। मंदिर में बैठकर किसी की शिकायत या निंदा न करें। यहां तक कि देवताओं के बारे में भी कोई बुरी बात बोलने से बचें। अपशब्द बोलना भी अपराध है। देव प्रतिमा के सामने किसी के चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए और न ही देवताओं को पीठ दिखाकर बैठना चाहिए। मंदिर में वही प्रसाद ग्रहण करें, जिसे भोग लगाकर दिया गया हो। भगवान के सामने कभी भी सोना नहीं चाहिए और प्रयास करें कि उनके सामने उनसे उच्चस्थ चीज पर न बैठें।

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