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मंगलसूत्र केवल एक बंधन नहीं है। यह एक धागे में पिरोया हुआ पवित्र प्रतीक है। हिंदू धर्म में महिलाएं शादी के बाद जो मंगलसूत्र धारण करती हैं, उसे शुभता का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह पति-पत्नी के बीच केवल प्रेम का प्रतीक ही नहीं है, बल्कि पति को दुर्भाग्यपूर्ण स्थितियों से भी बचाता है। धातु में बने हुए मंगलसूत्र का अलग प्रभाव भी पड़ता है। काले मोतियों के उपयोग और पेंडेंट जैसी आकृति से सजा मंगलसूत्र दंपति के लिए संपन्नता लेकर आता है। इसमें काले मोतियों का प्रयोग बुरी नजर से बचाने के उद्देश्य से किया जाता है। ताकि दांपत्य जीवन खुशहाल बना रहे। मंगलसूत्र सोने या चांदी में भी हो सकता है। अगर यह सोने में बना हुआ हो, तो इससे महिलाएं ऊर्जावान होती हैं। अपने मूल रूप में 'मंगलसूत्र' या 'करथा मणि' काले धागे में गूथे हुए आठ मोतियों से मिलकर बना होता था जिसमे बीच में एक सोने का 'लोकेट' गोल आकार का स्थित होता था.काले रंग की प्राथमिकता इसमें होने का मतलब ये माना जाता था की दुल्हन को कोई बुरी नजर न लगे.परन्तु वर्तमान में भारत के विभिन्न क्षेत्रों में ये अलग-अलग स्टायल में लोकप्रिय हो गया है। जो भी हो मंगलसूत्र वैवाहिक प्रतीकों में सबसे मत्वपूर्ण स्थान तो रखता ही है,साथ ही ये माना जाता रहा है कि ये दुल्हन के लिए काफी शुभ होता है और उसे बुरी नजर से बचाते हुए उसे भाग्यशाली बनती है॥
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