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विजिटिंग कार्ड (Visiting Card Vaastu)

विजिटिंग कार्ड परिचय देने व संपर्क बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मोटे से छोटे आयताकार टुकड़े में किसी भी व्यक्ति के बारे में सारी महत्वपूर्ण जानकारियां दी जा सकती हैं। वास्तु के अनुसार जब किसी व्यक्ति को अपना विजिटिंग कार्ड छपवाना हो, तो उन्हें केवल उसकी डिजाइन या रंग पर ही नहीं, बल्कि उसमें लिखे जाने वाले विवरणों पर भी ध्यान देना चाहिए। दरअसल यह कार्ड केवल आपका परिचय ही नहीं देता है, बल्कि आपके व्यक्तित्व की जानकारी भी दे सकता है। इस प्रकार विजिटिंग कार्ड धारक और प्रेषक दोनों ही लाभान्वित होते हैं। आज के व्यस्त जीवन में विजिटिंग कार्ड एक सही मार्गदर्शक के रूप में लोगों के समय और धन की भी काफी बचत कराता है। इसलिए अगर इस कार्ड को बनवाने के समय वास्तु का ध्यान रखा जाए, तो कार्ड आपके लिए उपयोगी और लाभदायक हो जाएगा।  
  • कार्ड हमेशा आयताकार होना चाहिए। 
  • इसमें सारा मैटर ब्लॉक लेटर में लिखा होना चाहिए। 
  • कार्ड धारक का नाम हमेशा लाल रंग में लिखना चाहिए। 
  • कार्ड में आफिस या घर का पता हमेशा नीले रंग में लिखवाना चाहिए। 
  • विजिटिंग कार्ड में टेलिफोन नंबर, मोबाइल नंबर, ईमेल आदि को लाल या नीले रंग में लिखना वास्तु सम्मत माना गया है। 
  • अगर कार्ड पर लोगो लगवा रहे हैं, तो इसे भी लाल रंग का ही रखना श्रेयस्कर है। 
  • और अंत में कार्ड का मध्य भाग हमेशा काले रंग का रखें।

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