गुरु-सूर्य के योग (Jupiter+Sun+? Yogas)
ज्योतिष में कुंडली के गणित को विस्तार से बताया गया है। अगर किसी को ग्रह-नक्षत्रों की चाल की जानकारी लेनी है, तो उनके लिए कुंडली का पूर्ण अध्ययन सबसे अच्छा माध्यम हो सकता है। इससे भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों की पूरी जानकारी हासिल की जा सकती है। लाल किताब में भी ऐसा ही वर्णन किया गया है। इसके अनुसार ज्योतिष शास्त्र की विधा का ज्ञान सूर्य भगवान ने अपने सारथी अरुण को दिया था और अरुण ने यह ज्ञान रावण को प्रदान किया था। कालांतर में इस ज्ञान को पुस्तक के रूप में लिपिबद्ध किया गया। इसमें सभी ग्रहों के बारे में पूरी जानकारी दी गई है और यह भी बताया गया है कि कुंडली में जब तीन ग्रह एक साथ होते हैं, तो उनका फल हर कुंडली में अलग-अलग तरह से पड़ता है।
गुरु-सूर्य-चंद्र: अगर किसी जातक की जन्मकुंडली में किसी भी खाने में गुरु, सूर्य और चंद्र ये तीनों ग्रह एक साथ मौजूद हों, तो ऐसे जातक परोपकारी, मित्रों की मदद करने वाले, विद्वान व भाग्यवान होते हैं।
गुरु-सूर्य-शुक्र: अगर किसी की जन्मकुंडली में किसी भी खाने में ये तीनों ग्रह, गुरु, सूर्य और शुक्र एक साथ उपस्थित हों, तो ऐसे जातक का भाग्योदय विवाह के बाद होता है। ऐसे जातकों की भार्या उत्तम स्वभाव वाली, सदा सहयोग करने वाली व भाग्यवान होती है।
गुरु-सूर्य-मंगल: यदि जातक की कुंडली के किसी खाने में गुरु, सूर्य और मंगल ग्रह एक साथ मौजूद होते हैं, तो ऐसे जातकों को बाबा, पिता, भाई तीनों की ओर से सहयोग मिलता है। ऐसे जातक शक्तिशाली और अधिकारों से युक्त होते हैं। अगर यही युति अष्टम खाने में हो, तो जातक योगी होते हैं।
गुरु-सूर्य-बुध: यदि जन्मकुंडली में किसी भी खाने में गुरु, सूर्य और बुध तीनों ग्रहों की युति हो जाए, तो ये तीनों मिलकर जातक के लिए राजयोग का निर्माण करते हैं। ऐसे जातक हमेशा धन-धान्य से परिपूर्ण रहते हैं।
गुरु-सूर्य-शनि: अगर किसी जातक की कुंडली में गुरु, सूर्य और शनि तीनों ग्रह बैठे हों, तो ऐसे जातक अपने कर्म से समाज में बहुत मान-सम्मान पाते हैं और जीवन में इन्हें यश भी प्राप्त होता है।
गुरु-सूर्य-केतु: अगर किसी जातक की कुंडली में गुरु, सूर्य और केतु की युति हो जाए, तो ऐसी कुंडली में सूर्य का शुभ फल शून्य हो जाता है। लिहाजा ऐसे जातकों को जीवन में हमेशा पिता के सहयोग या प्यार से वंचित रहना पड़ता है।
गुरु-सूर्य-राहु: अगर किसी जातक की कुंडली के किसी भी खाने में गुरु, सूर्य और राहु की युति हो जाए, तो यहां गुरु और सूर्य का शुभ फल शून्य हो जाता है। इसलिए जातक को आसपास के लोगों से हमेशा नुकसान या हानि रहती है। ऐसे जातक को लोग जान-बूझकर धोखा देते हैं।
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