रत्नों में भी औषधीय गुण होते हैं, जिनका उपयोग रोग-व्याधि में सरलता से किया जा सकता है। ऐसा ही एक रत्न है, माणिक्य। यह लाल या श्याम वर्ण मिश्रित लाल रंग का या लाख के रंग का पारदर्शी अथवा अपारदर्शी दोनों तरह का होता है। अंधता, हृदय रोग, हार्ट अटैक आदि रोगों में इसका औषधीय रूप लाभदायक माना जाता है। रक्त संबंधी और नपुंसकता में तो माणिक्य भस्म रामबाण है।

इसे घाव पर तीन-चार बार फेर देने से उसमें टिटनेस के लक्षण नहीं होते। इसकी अंगूठी को प्रतिदिन भोजन करने के बाद साफ पानी में पांच बार घुमाकर उसका सेवन करने से लाभ होता है। रोगी के सिरहाने माणिक्य रखने से इसकी किरणों या रश्मियों से कीटाणु स्वत: नष्ट हो जाते हैं। अगर किसी को अजीर्ण से परेशानी है या फिर खून के दस्त आ रहे हैं, तो माणिक्य का धुला पानी पिलाने से लाभ होता है। ज्योतिष में इसे सूर्य का रत्न माना गया है, जिसके प्रयोग से जातक को सूर्य की कृपा मिलती है। इसे धारण करने मात्र से जातक का तेज बढ़ता जाता है और उसे हर कार्य में सफलता मिलती है। यह रत्न परिवार में खुशियां लाता है। माणिक्य के औषधीय प्रयोग से पहले योग्य आयुर्वेदाचार्य की सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए।
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