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मेरे कितने बच्चे होगें (Children in Astrology)

व्यक्ति की कुंडली उसके जीवन के हर पक्ष के बारे में बता देती है। इसमें ग्रहों की स्थिति से यह भी जाना जा सकता है कि व्यक्ति की संतानें कितनी होंगी? वैसे ज्योतिष शास्त्र में ऐसे कई उपाय भी हैं, जिनसे नि:संतान दंपतत्तियों को संतान की प्राप्ति हो सकती है। यद्यपि जन्म कुंडली से भी इस बात की जानकारी पाई जा सकती है।

जैसे जन्म कुंडली में पांचवें भाव में जितने ग्रह हों या पंचम भाव पर जितने ग्रहों की दृष्टि हो, तो उन दोनों की संख्या के बराबर संतान होने की संभावना होती है। इसी प्रकार अगर तुला या वृष राशि में चंद्र पांचवे या नौवें भाव में हो, तो ऐसे जातकों को एक संतान होती है, जबकि पंचम भाव में अशुभ ग्रह राहु और केतु भी हो, तो एक संतान होती है। अगर कुंडली में पंचम भाव में सूर्य शुभ ग्रह से दृष्ट हो, तो ऐसे व्यक्ति को तीन संतानें होती हैं। इसी प्रकार यदि कुंडली में पंचम भाव में गुरु हो, सूर्य अपनी ही राशि सिंह में हो तथा पंचमेश यानी पंचम का स्वामी पंचम में हो, तो ऐसे व्यक्ति को भी संतान प्राप्ति होती है। जातक की कुंडली में गुरु, सूर्य और चंद्र ग्रहों के स्पष्ट राशि आदि जोड़ने पर जितनी राशि संख्या आती है, व्यक्ति को उतनी संतानों का लाभ होता है। यदि कर्क राशि का चंद्र पंचम भाव में हो, तो ऐसे व्यक्ति भी संतान लाभ पाते हैं।

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