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राहु-केतु का उपाय( Remedy for Rahu - Ketu)

अधिकांश व्यक्ति राहु-केतु से पीड़ित रहते हैं। ऐसे जातकों के लिए शिव की पूजा करना सर्वथा लाभकारी है। इसके साथ ही छोटे-छोटे उपाय करें, तो राहु-केतु निस्तेज होंगे शिव भक्त बड़े उत्साह से हर साल श्रावण मास की प्रतीक्षा करते हैं। सत्यम् शिवम् और सुंदरम् के प्रतीक भगवान शिव सभी जीवों के लिए परम कल्याणकारी माने जाते हैं। इनके शिव नाम में पूरा ब्रह्मांड समाया हुआ है। पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन का महीना भगवान शंकर को अतिप्रिय है। ज्योतिष शास्त्र में भी इस माह का महत्व बताया गया है और साथ ही यह भी कहा गया है कि अगर भक्त अपने सारे दु:खों से निजात पाना चाहते हैं, तो इस माह उन ग्रहों को शांत कर सकते हैं, जो उनकी कुंडली में अशुभ भाव में बैठे हुए हैं। ऐसे ही दो ग्रह हैं, राहु और केतु। जिस तरह शनि को प्रसन्न करने के लिए शिव जी की पूजा करना शुभ कहा गया है, उसी तरह सावन माह में इन ग्रहों के लिए विशेष पूजा लाभकारी बताई जाती है। अगर आपके ऊपर शनि-राहु या अशुभ ग्रहों की दशा चल रही है, तो आप पूरे माह शिवलिंग पर प्रतिदिन काले तिल चढ़ाएं तथा तामसिक भोजन का त्याग करें। जन्मकुंडली के अनुसार जो ग्रह आपके लिए सकारात्मक हो, इस माह में उस ग्रह का रत्न धारण कर उसे मजबूत करने से भी न चूकें। अगर आपकी कुंडली में राहु और केतु अशुभ स्थान पर बैठे हों, तो श्रावण मास में इनका भी उपाय कर लेना श्रेयस्कर रहता है। दरअसल राहु और केतु कुंडली में कालसर्प योग बनाते हैं। यह ऐसा योग है, जो आपके बनते हुए कामों में बाधा डाल देता है। अगर राहु और केतु के बीच में सारे ग्रह आ जाएं या फिर राहु सूर्य अथवा चंद्र के साथ आ जाए, तो जातक की कुंडली में बाधा दिखाई देती है। कुंडली में इनकी महादशा और अंतर्दशा भी होती है। इसलिए श्रावण मास में शिव की पूजा से इन्हें निस्तेज करना सबसे प्रमुख उपाय माना जाता है। अगर आप इस माह में बुधवार या शनिवार के दिन रुद्राभिषेक करते हैं, तो आपको राह-केतु की अशुभ छाया से मुक्ति मिल सकती है। इसके अलावा नदी में चांदी के नाग-नागिन प्रवाहित करने से कालसर्प योग नाम का दोष भी मिटता है। यदि आप श्रावण मास में आने वाली नाग पंचमी के दिन शिव मंदिर में शिवलिंग पर तांबे के नाग की स्थापना करवाएं, तो यह लाभप्रद होगा। इससे सर्प बाधा भी दूर होती है। आपकी कुंडली में राहु पांचवें घर में हो, तो ऐसे जातक को संतान सुख बाधित होता है। इसके लिए सावन में व्रत रखें और नाग-नागिन को कद्दू या सीताफल में रखकर बहाएं। आपको शीघ्र इस दोष से मुक्ति मिल जाएगी।

यदि आप केतु से परेशान हैं, तो शिव के साथ भैरव की पूजा करें तथा शनिवार को कुत्तों को गुलाबजामुन या दूसरी मीठी चीजें खिलाएं। असल में भैरव की सवारी कुत्ता मानी गई है। इसके साथ ही चितकबरे वस्त्र दान करें। केतु की पीड़ा शांत होगी। शिव मंदिर में ध्वज लगाने से भी केतु शांत होता है। केतु को ध्वज का प्रतीक भी माना जाता है।

1 comment:

  1. sir meri birth date 10-05-1984 time 19:45
    surendranagar gujart sir meri shadi me rukavat a rahi hai aur love kiya wo ladki dusrese ishq ladati hai mai kya karu

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