Arpana Apsara Sadhana
देवलोक की सुन्दरीयों के बारे में किसनें सुन हैं कि सुन्दर अण्डाकार गुलाबी रंग का चेहरा, मन-मोहिनी, मुख पर आभूषण धारण किए हुए, उन्नत गुलाब जैसी रंगत वाले स्तन धारण करने वाली सुन्दरीयां हैं, जिसके स्तन चुमने योग्य हो, स्तन पीने योग्य हो। जिसका कमर और नितम्बों का आकार सुराई की भांति हो। जिसकी आखें सम्मोहन युक्त, खंजर के समान, कमल नयन हो, जिसकी तरह एक नजर देख लें वो उसके मोहपाश में बन्ध जाए। लाल, पीले और श्वेत वस्त्रों को धारण करने वाली देव सुंदरीयों से कौन नहीं मिलना चाहता?
देव सुन्दरीयां भी हमारे लोक की सुन्दरीयों की भांति ही होती हैं लेकिन पृथ्वी लोक पर सुन्दरीयों की अपनी परिभाषा, मर्यादा और अपना चिंतन होता हैं। यहां तो जो जरा सी सुन्दरता लिए हुए होती हैं उसमें इतना अहंकार आ जाता हैं जैसे मिस यूनिवर्स यह ही हैं। सच में तो मिस यूनिवर्स भी देवी सुंदरीयों के सामने पानी भरती नजर आती हैं। इस दुनिया की लडकियां स्वार्थी होती हैं अहंकारी होती हैं, जरा सी बात से घबहारा जाती हैं परेशान हो जाती हैं और परेशान ही करती है, लेकिन देव सुन्दरी इन सब भाव से परे होती हैं और अपने साधक को सच्चा प्रेम और सच्चा ज्ञान देती हैं। वैसे देव सुन्दरी भी इस दुनियां की लडकियों से जलती हैं यदि उनका साधक उसका प्रेम किसी में बाटता हैं। भगवान शंकर नें भी कहा हैं कि यदि देव सुन्दरियों से पत्नी का सम्बन्ध हो तो साधक को अपना प्यार किसी लडकी से नहीं बाटना चाहिए अन्यथा यह इन सुन्दरीयों को अच्छा नहीं लगता और साधक को छोड देती हैं।
इन सुन्दरियों की साधना के मार्ग शास्त्रों में दिए हैं लेकिन साधना तभी सफल होती हैं जब अपने काम भाव को नियंत्रित रखा जाए। यदि कामवेग या काम भाव से साधना करी तो सफल नहीं होती हैं। साधना काल को छोड काम भावना परेशान करें तो कोई दिक्कत नहीं लेकिन साधना के दौरान कामभाव पर ध्यान ना देकर साधना पर ध्यान देना चाहिए।
अपने ऐसे किस्से तो सुने ही होगें कि इस इस अप्सरा नें इस इस ऋषि की साधना भंग कर दी मतलब यह कि उन ऋषि में साधना के दौरान कामभाव आ गए और ऐसी देवियों के प्रेम में पडकर क्या करना हैं भूल गए तो ऐसे में मनुष्य की क्या औकात? इसलिए कामभाव साधना शक्ति को क्षीण कर देता हैं और वो आपकी मंत्र की शक्ति से बाहर हो जाती हैं और अपने घर वापस चली जाती हैं। इस साधना में काम भाव पर नियत्रंण बहुत जरुरी हैं हां साधना सम्पन्न होने के बाद चाहे तो पत्नी रुप में भी सम्बन्ध रख सकता हैं।
यह मेरे व्यकितगत अनुभव हैं और ज्यादातर साधको के भी इसी प्रकार के अनुभव रहते हैं। अब हम बात करते हैं, ऐसी ही एक सुंदरी की जिसका नाम “अर्पणा” हैं “अपर्णा” नहीं क्योंकि इस नाम में कंफुजन जैसी स्थिति रहती हैं। इसकी सुन्दरता के बारें में शास्त्रों में कुछ इस प्रकार का विवरण हैं।
एक बहुत सुन्दर अंडाकार मुखडे वाली जिसके चहेरे पर तेज और थोडे से अल्हड भाव से युक्त हैं। इसकी पीठ पर भी अनेको रतन से बने आभूषण हैं। पुर्णतः कामनीय बदन कुसुम से सुभोभित हैं। सोने और मोती को अपने सुन्दर वक्षस्थल पर धारण करती हैं। जिसके गुलाबी स्तन बहुत अधिक उभार लिए हैं, पीने योग्य और प्रेमी को आनंद प्रदान करने वाले हैं। लाल वस्त्रों को धारण करने वाली हैं और आपके नयन कुमद पुष्प कमल की भांति हैं। अपने भक्तों को सुख सौभाग्य और ऐश्वर्य प्रदान करने वाली स्वर्ग की उस देवी को नमस्कार।
साधना विधि:- स्नान आदि समपन्न करके, उत्तर पूर्व की तरफ मुहं करके आसन लगा लें। एक दीपक जला दे और अगरबत्ती लगा दें। सबसे पहले गुरु, गणपति का पुजन करके, संकल्प करें। नीचे दिर मंत्र को 11 माला 21 दिन तक जप करनी हैं। शुक्ल पक्ष में किसी भी शुक्रवार से साधना शुरु कर दें। मुहुर्त आदि की कोई अवश्यकता नहीं हैं। एक चौकी पर 16 गुलाब बिछाकर अर्पण देवी का आवाहान करें और कहे यहां स्थान ग्रहण करों। फिर कुम्कुम, अक्षत, धूप-दीपक, नेवेध, मीठा पान से पुजन करें एवं नीचे दिए मंत्र की 21 माला जप कर लें। माला स्फ़ाटिक की ले सकते हो। मंत्र जप समाप्त होने पर देवी को समर्पित कर दें और आसन के नीचे जल डाल दें। यह मंत्र अत्यंत दुर्लभ हैं और अभी तक इंटरनेट पर मौजूद नहीं होना चाहिए।
ॐ लृं स: अर्पण देव्यां अगच्छ स्वाहा
पांच – दस मिनट बैठकर ध्यान लगाए और देवी से प्रसन्न होकर दर्शन देने की प्रार्थना कर लें। वहीं सौ जाए। साधना अपने शयन कक्ष में ही कर लें। मेरा यकीन माने देवी जरुर आएगी और आपके साथ बैठ जाएगी। कई बार रात्रि में आती हैं। कई बार ऐसा लगता हैं कि आपके शयन बेड पर ही साधक के साथ बैठी हैं लेकिन यह शुरुवाती अनुभव हैं बाद में तो दर्शन होते ही हैं।
plz send the information about sidhi of yauwan garbheeta my id is singhsrndr10@yahoo.com
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete