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Warning for Jyeshta Masa

ज्योतिष ग्रंथों में हर माह के बारे में कई खास बातें बताई गईं हैं। इसी तरह ज्येष्ठ मास हिन्दू पंचाग के अनुसार हिन्दू वर्ष का तीसरा माह है। सबसे पहले इस माह में ज्येष्ठ संतान का विवाह करते समय विचार अवश्य करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार विवाह में किसी भी प्रकार से तीन ज्येष्ठ मिलें, तो यह त्रिज्येष्ठ नामक दोष होता है। कहा भी गया है, 

ज्येष्ठे मासि कर ग्रहों न शुभत ज्येष्ठांगना पुत्रयोः। ज्येष्ठे मास्यपि जातयोश्च यदि वा ज्येष्ठोडुसम्भूतयोः। 
दम्पत्योर्यदि येन केन विधिना ज्येष्ठत्रयं चास्ति चेत्। त्रिज्येष्ठाहय दोषदो हि सततं नाप्याद्य गर्भद्वये।। 

अर्थात् सबसे बड़ी संतान (पुत्र-पुत्री) का ज्येष्ठ मास में विवाह अशुभ है। ज्येष्ठ मास व ज्येष्ठा नक्षत्र में उत्पन्न वर-कन्या का विवाह भी ज्येष्ठ मास में नहीं करना चाहिए। ज्येष्ठ लड़का व ज्येष्ठ लड़की (सबसे बड़े बेटा-बेटी) तथा ज्येष्ठ मास ये तीनों त्रिज्येष्ठ दोषप्रद हैं। अतः तीनों की स्थिति होने पर विवाह निषेध माना गया है। ज्येष्ठ वर या कन्या में से कोई एक ज्येष्ठ हो, तो ज्येष्ठ मास में विवाह करने पर कोई दोष नहीं होता है। गर्ग ऋषि के मतानुसार ज्येष्ठ लड़की का विवाह ज्येष्ठ लड़के के साथ नहीं करना चाहिए। इस माह में विशेष रूप से गंगा नदी में स्नान और पूजन करने का विधि-विधान है। इस माह में आने वाले पर्वों में गंगा दशहरा और ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी और निर्जला एकादशी प्रमुख पर्व हैं। गंगा नदी का एक अन्य नाम ज्येष्ठा भी है। वैसे तो फागुन माह की बिदाई के साथ ही गर्मी शुरू हो जाती है। चैत्र और वैशाख में अपने रंग बिखेरती है और ज्येष्ठ में चरम पर आ जाती है। अतः इस माह में जल का महत्व दूसरे महीनों की तुलना में और बढ़ जाता है। इस मास से हमें जल का महत्व व उपयोगिता सीख लेनी चाहिए। इस माह में भगवान श्री विष्णु का पूजन व ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र व विष्णु सहस्रनाम आदि का जप-पाठ करना विशेष शुभप्रद रहता है।

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