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MOR PANKH Tantra Prayog

हमारे देवी-देवताओं के बीच मोरपंख का विशेष महत्व माना जाता है। देखने में मनभावन लगने वाला मोरपंख भगवान कृष्ण का प्रतीक भी है। मोरपंख के आयुर्वेदिक और कुछ अलौकिक उपयोग भी बताए जाते हैं। जीवन की कुछेक समस्याएं हैं, जिनमें मोरपंख का समाधान रूप में इस्तेमाल आश्चर्यजनक परिणाम सामने लाता है। 
मान्यता यह है कि मोरपंख दुर्भाग्य से बचाता है। इसीलिए अधिकतर लोग इसे अपने घरों में बतौर सजावटी सामान रखते है, ताकि सजावट के साथ घर में मंगल भी होता रहे। मोर भगवान कार्तिकेय का वाहन है। इसके अलावा यह देवी सरस्वती से संबंधित होने के कारण विद्यार्थियों के लिए भी शुभकारी माना जाता है। 

कहा जाता है कि मोर पंख से कई रोगों के इलाज में भी सहायता मिलती है। जैसे कि मोर पंख क्षय रोग, पैरालिसिस, एस्थमा, जुकाम और बांझपन जैसे रोगों के इलाज में भी असरकारक होता है। मोर पंख का वास्तु उपयोग भी है। घर में मोरपंख रखने से घर का वास्तु प्रभाव बदला जा सकता है। घर के दक्षिण-पूर्व में मोरपंख लगाने से बरकत बढ़ती है और कष्ट नहीं आता। 

घर का दरवाजा वास्तु अनुकूल न होने पर दरवाजे पर तीन मोर पंख लगाएं और – ॐ द्वारपालाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा- मंत्र से अभिमंत्रित कर पंख के नीचे गणपति की छोटी प्रतिमा स्थापित करें। 

यदि पूजा स्थान वास्तु अनुकूल नहीं है, तो पूजा स्थान को कुमकुम का तिलक लगे और – ॐ कूर्म पुरुषाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा।- मंत्र से अभिमंत्रित मोरपंखों से सजाएं। यहां शिवलिंग स्थापित करें। 

आजकल अकसर फ्लैट्स में रसोई घर वास्तु के अनुसार नहीं होते। ऐसे में दो मोरपंख रसोईघर में स्थापित करें। मोरपंख भोजन बनाने वाले स्थान से दूर लगाएं। दोनों के नीचे मौलि बांध दें और पंखों पर गंगाजल छिड़क कर ॐ अन्नपूर्णाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा मंत्र से अभिमंत्रित कर स्थापित करें। काल सर्प दोष होने पर जातक अपने सिरहाने मोरपंख रखें और अपने बेडरूम में पशि्चम की दीवार पर 11 मोर पंखों का पंखा लगाएं, तो बाधा दूर होगी। 

घर में संतान को अनुशासित करना हो, तो उसे नियमित मोरपंख की हवा करें। धीरे-धीरे बच्चा अनुशासित हो जाएगा। 

राहु का दोष होने पर मोरपंख घर की पूर्वी और उत्तर पश्चिम की दीवार पर लगाएं। कहते हैं इस तरह घर में विषैले जीवों का डर भी नहीं रहता। 

यदि शत्रुता समाप्त करनी हो या कि शत्रु तंग कर रहे हों, तो मोरपंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिंदूर से उस शत्रु का नाम मंगलवार या शनिवार रात्रि में लिखकर उसे घर के पूजा स्थल में रखें व सुबह उठकर उसे चलते पानी में प्रवाहित कर आएं। शत्रु मित्र में बदल जाएगा 

लेकिन मोरपंख के उपाय करते समय यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि मोरपंख की प्राप्ति प्राकृतिक ढंग से की गई हो। क्योंकि मोर को किसी प्रकार की हानि पहुंचाकर प्राप्त किए गए मोरपंख में पक्षी को मिले कष्ट के कारण नकारात्मकता का प्रवेश हो जाता है और तब उसके सकारात्मक प्रभाव की क्षमता कम पड़ जाती है। ध्यान रहे अध्यात्म में सकारात्मक तरीकों को ही कल्याणकारी माना गया है। इस नियम को कभी न भूलें।

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