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Chinnamasta Mantra Meaning

दस महाविद्याओं में मां छिन्नमस्ता पांचवें नंबर पर आती हैं। यह काली कुल की साधना है और तीव्र प्रभावी भी है बहुत ही कम समय मे परिणाम देखने को मिलते है। आपके सामने छिन्नमस्तिका साधना को करने की सबसे छोटी विधि को मै यहाँ प्रकाशित कर रहा हूँ। इसमे ज्यादा विधि विधान की आवश्यकता नही है। यह अपने साधको को अत्याधिक सर्दी और गर्मी झेलने की ताकत भी प्रदान करती है जिसके कारण वह साधक आगे चलकर उच्च कोटि का साधक बन सकता है। 

शक्तियों और गति, विस्तार, भरण-पोषण, जन्म-मृत्यु, बंधन और मोक्ष की प्रतीक हैं। इन दस स्वरूपों में मां भगवती छिन्नमस्ता की साधना करके एवं मंत्रों का उच्चारण करके जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है। 

ये अस्थिमाला धारण करती हैं, जो अपने कटे हुए मस्तक को अपने हाथों में लिए हुए हैं। ये भुवनेश्वरी बनकर संसार का पालन करती हैं। वही अंतकाल बनकर नाश भी करती हैं। कत्री यानी कैंची, खप्पर, रक्त, नाग, दिगंबरत्व आदि इस संहार शक्ति को ही निरूपित करते हैं। अगर किसी को शत्रुबाधा या कोट कचहरी का भय हो, कारोबार की समस्या हो, आर्थिक समस्या हो, रोगों से मुक्ति, अनेक प्रकार की समस्याएं हों, तो इनकी साधना से हर समस्या का निस्तारण हो जाता है। इनके सिर्फ एक मंत्र के उच्चारण से हर बाधा दूर हो सकती है। मंत्र इस प्रकार है। 




श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा। 

किसी भी मंत्र का जप करने से पहले उसके जितने अर्थ समझ ले उतना अच्छा होता है। इस मंत्र मे 18 शक्तियो से युक्त है और इस मंत्र की विशेषता निन्म है: 

श्रीं -यह लक्ष्मी का प्रतीक है।
ह्रीं- यह जीवन में सभी दृष्टियों से उन्नति में सहायक है।
क्लीं- यह मनोभाव बीज है, जो कि समस्त पापों को नष्ट कर देता है।
ऐं- जीवन में समस्त गुणों एवं संजीवनी विद्या प्रदान करने वाला है।
- ये वरुण देव का प्रतीक माना जाता है, जिससे शरीर नियंत्रित रहता है।
- यह इंद्र का प्रतीक माना गया है, जो कि एक स्थान पर दूरस्थ है। किसी को जानने में सहायक है।
- यह अग्नि देव का प्रतीक है और ऊर्जा का संचार करता है।
- यह पृथ्वीपति बीज है, जिससे भूमि-सिद्धि अर्थात् प्रॉपर्टी दिलाने में सहायक होता है।
- यह त्रिपुर देवी का प्रतीक है।
- यह त्रिपुर सुंदरी का बीजाक्षर है।
- सदैव त्रैलोक्य विजय देवी का आत्मीरूप का प्रतीक है।
- यह बीज चंद्रमा का प्रतीक माना गया है, जो मानसिक शीतलता प्रदान करता है।
- यह बीजाक्षर गणेश जी का प्रतीक माना गया है, जो कार्यों को पूर्ण करने में सहायक होता है।
- यह साक्षात कमला का बीजाक्षर है।
- इससे साधक को ज्ञान प्राप्त होता है।
हूं- यह माया युग्म बीज है, जो आत्मा व प्रकृति का संगम है।
फट्- यह साधक को मनोवांछित कार्यों को संपन्न करने में सहायक होता है।
स्वा- यह कामदेव का बीज है, जिससे साधक का शरीर सुंदर बनता है।
हा- यह रति का बीज है, जो पौरुष बल प्रदान करने में सहायक होता है।

इसके अलावा भी देवी छिन्नमस्तिका के अनेको मंत्र है इस एक नजर मे कुछ मंत्रो को आपके सामने रखता हूँ। जैसे

यदि केवल "हुं" या "हुं स्वाहा" मंत्र का जप किया जाये तो वशीकरण होता है।
"ॐ हुं स्वाहा ॐ" का जप करने से धर्म अर्थ काम मोक्ष सभी की प्रप्ति होती है।
"हूं श्री ह्री ऐं वज्र वैरोचनीये हूं हूं फट स्वाहा" मंत्र सभी प्रकार के पापो से मुक्ति दिलाता है।
"श्रीं ह्रीं हूं ऐं वज्रवैरोचनीये श्रीं ह्रीं हूं ऐं स्वाहा" वाक शक्ति देता है।
"ह्रीं हूं ऐं वज्र वैरोचनीये हुं फट स्वाहा" सभी प्रकार का ऐश्वर्य और समोहन शक्ति देने वाला है।
"क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं वज्र वैरोचनीये ह्रीं ह्रीं फट स्वाहा" काम वशीकरण मंत्र हैं।

21 दिन तक नित्य एक माला का जप करके काले सरसों से इस मंत्रों का उच्चारण करके दशांश हवन में आहुति दें। इस प्रकार यह साधना सिद्ध होती है। इसके उपरांत साधना की सामग्रियों को किसी पवित्र जल में विसर्जित कर दें। छिन्नमस्ता महाविद्या साधना को सिद्ध करने से साधक और उसके परिवार जनों का जीवन सुखमय हो जाता है। किसी प्रकार की सहायता के काल कर सकते है।


3 comments:

  1. I have done this Sadhana under your guidance. It is working for me miraculously. I wish all the readers should try this out as it works instantly.

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  2. धन्यावाद शची, ईश्वर आपको हर खुशी प्रदान करे। वैसे भी साधना मे सफलता आपकी अपनी मेहनत है इसलिए ऐसा हुआ। यह सत्य है कि साधनाओ के माध्यम से हम अपनी खुशीयाँ पर सकते है जैसा कि आपने पाई। आगे भी देवी माँ की शरण मे रहना ही आपके लिए बेहतर है। उम्मीद करता हूँ कि आपके पति देव आपको परेशान ना करे और आप नई जाब भी सही से चलती रहे। मुबारक हो!!!


    :)

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  3. i have tried but in beginning it was worked but latter i am facing same problems please help me

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