Durga 108 Naam
संकल्प लेने के बाद ही पढे। अगर एक महीना पढा तो सभी काम अपने आप बनने शुरु हो जायेगे उसके बाद भी पडना अनिवार्य हैं । शक्ति उपासना के बिना जीवन मे किसी भी प्रकार की शक्ति नही प्राप्त होती। अधिक शाक्ति उपासना भी व्यथा हैं जब तक शिव या गुरु की उपासना ना की जाये। क्योकि शक्ति वहीं होती हैं जहाँ शिव होता हैं। शिव वहीं होता हैं जहाँ शक्ति होती हैं। शिव और गुरु मे कोई अंतर नही होता। गुरु साक्षात शिव के रुप मे हमारे सामाने होता हैं इसलिये हमें गुरु की कीमती समझनी चाहिए और जितनी हो सके उतनी सेवा करनी चाहिए ताकि गुरु कृपा मिल सके। मै स्वयं गुरु की सेवा से एक सिद्धि को बिना किसी श्रम के 10 मिनट मे प्राप्त किया था।
शतनाम प्रवक्ष्यामि शृणुष्व कमलानने।
यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गा प्रीता भवेत् सती।।
ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी।
आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्रा शूलधारिणी।।
पिनाक धारिणी चित्रा चण्डघण्टा महातपाः।
मनो बुद्धिरहंकारा चित्तरूपा चिता चितिः।।
सर्वमन्त्रमयी सत्ता सत्यानन्द स्वरूपिणी।
अनन्ता भाविनी भाव्या भव्याभव्या सदागतिः।।
शाम्भवी देवमाता च चिन्ता रत्नप्रिया सदा।
सर्वविद्या दक्षकन्या दक्षयज्ञ विनाशिनी।।
अपर्णा अनेकवर्णा च पाटला पाटलावती।
पट्टाम्बर परीधाना कलम अण्जीर रंजिनी।।
अमेय विक्रमा क्रूरा सुन्दरी सुरसुन्दरी।
वनदुर्गा च मातंगी मतंग मुनि पूजिता।।
ब्राह्मी महेश्वरी चैन्द्री कौमारी वैष्णवी तथा।
चामुण्डा चैव वाराही लक्ष्मीश्च पुरूषाकृतिः।।
विमलोत्कर्षिणी ज्ञाना क्रिया नित्या च बुद्धिदा।
बहुला बहुलप्रेमा सर्ववाहन वाहना।।
निशुम्भ शुम्भ हननी महिषासुर मर्दिनी।
मधुकैटभ हन्त्री च चण्डमुण्ड विनाशिनी।।
सर्वासुर विनाशा च सर्वदानव घातिनी।
सर्वशास्त्र मयी सत्या सर्वास्त्र धारिणी तथा।।
अनेक शस्त्र हस्ता च अनेकास्त्रस्य धारिणी।
कुमारी च एककन्या च कैशोरी युवती यतिः।।
अप्रौढा चैव प्रौढा च वृद्धमाता बलप्रदा।
महोदरी मुक्तकेशी घोररूपा महाबला।।
अग्निज्वाला रौद्रमुखी कालरात्रिस्तपस्विनी।
नारायणी भद्रकाली विष्णुमाया जलोदरी।।
शिवदूती कराली च अनन्ता परमेश्वरी।
कात्यायनी च सावित्री प्रत्यक्षा ब्रह्मवादिनी।।
य इदं प्रपठेन्नित्यं दुर्गानामशताष्टकम्।
नासाध्यं विद्यते देवि त्रिषु लोकेषु पार्वति।।
धनं धान्यं सुतं जायां हयं हस्तिनमेव च।
चतुर्वर्गं तथा चान्ते लभेन्मुक्तिं च शाश्वतीम्।।
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