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शक्तिशाली रोग निवारक मंत्र


मनुष्य के जीवन में तरह-तरह की शारीरिक व्याधियां आती जाती रहती हैं। विभिन्न रोगों से ग्रसित मनुष्य डॉक्टर, वैद्य और हकीम के चक्कर लगाने को मजबूर होता है और धनाभाव के कारण कभी-कभी उचित उपचार से वंचित भी रह जाता है। ऐसी दशा में शक्तिशाली रोग निवारक मंत्र का जप फलदायी होता है। 

‘ॐ क्री क्षं सं सं स:’, मंत्र 108 बार जप कर गाय के घी को अभिमंत्रित कर लें। अभिमंत्रित घी का एक पल की मात्रा में एक माह तक प्रतिदिन दान करने और उसके बाद मधु पान करने से सब प्रकार के रोग खत्म हो जाते हैं। यदि इस घी को पीने के बाद एक माह तक गाय का दूध पिया जाए, तो आंखों की रोशनी बढ़ती है। यदि इस घृत को चावल के लड्डू के साथ सेवन किया जाए, तो शूल रोग का नाश होता है। अथवा इस घी को गन्ने के रस के साथ नियमित सेवन करने से रोगी की अनेक व्याधियां नष्ट होती हैं।

‘क्रीं’ मंत्र को 108 बार उच्चरित करने के बाद एक कटोरी गंगा जल को इस मंत्र से 21 बार अभिमंत्रित कर रोगी को पिलाने से शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह प्रक्रिया सात दिन तक निरंतर करनी चाहिए।

यदि ‘क्रीं हूं, ह्रीं,’ मंत्र का उच्चारण कर सात बार श्री महाकाली देवी को चावल अर्पित किए जाएं, तो भय का नाश होता है।

नागेश्वर की जड़ को मधु यानी शहद के साथ ‘ॐ नम: दर्शनाय’ का उच्चारण करते हुए घिसे और उदर रोगी को पिला दें, तो लाभ होता है।

यदि ‘ॐ शक्तिदाय नम:’ मंत्र का 108 बार उच्चारण पुनर्नवा का रस व गाय के घी को अभिमंत्रित कर सेवन करें, तो आंखों की ज्योति बढ़ती है।

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