सावधान: अलग अलग पूजें देव और पूर्वज
घर में पूजा घर हो, तो ही उसे घर कहें। घर के पूजा घर से ही घर की शोभा आती है। पूजा घर में कुछ पूजाएं करना वर्ज्य माना जाता है। कुछ लोग इस बात को नहीं समझते और संकट को बुलावा देते हैं।
- पूर्वज के चित्र, देवता पूजा में ना रखें। अगर वह मूर्ति सोने की हो, तो भी उसका विसर्जन करना चाहिए। ऐसा ना करने से पूजक निर्वंश (वंश वृद्धि रुकना) हो जाता है और उस पर बहुत संकट आते हैं।
- संसारी व्यक्ति को पूजाघर में रखे हनुमान जी की पूजा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि हनुमान ब्रह्मचारी हैं। फिर भी अगर हम हनुमान जी की पूजा करें, तो पूजक निर्वंश हो जाता है।
- पूजाघर में रखे शनि की या शनि यंत्र की पूजा ना करें। इससे सारा जीवन कष्ट मय संकट मय होकर बीतता है।
- पूजा घर में कालभैरव की पूजा निषिद्ध मानी जाती है। क्योंकि कालभैरव का स्वभाव बहुत कड़क होता है।
- पूर्वजों के प्रतीक को पूजा घर में रखकर उसकी पूजा ना करें। कोई भी जीवित या मृत व्यक्ति कुल देवता या कुल देवी नहीं हो सकते। हाँ कुलदेवता का पुजन पुजा घर मे भी किया जा सकता हैं।
- पूजा घर में जनेऊ की पूजा नहीं करनी चाहिए। इससे कुल देवता की कृपा दृष्टि हम पर नहीं रहती और उस जनेऊ के सिर्फ शाप मिलते हैं।
- भगवान और पूर्वजों की पूजा साथ में नहीं होनी चाहिए। उनकी तस्वीरें भी साथ-साथ नहीं रखनी चाहिए। इससे मृत व्यक्ति सद्गति से वंचित होते हैं और हमें शाप देते हैं।
- पूजा घर लकड़ी, संगमरमर या फिर पत्थर के बने ही ठीक होते हैं। धातु बने पूजा घर शुभ फल नहीं देते।
- मंदिर गुंबदाकार या पिरामिड आकार में होना शुभ माना जाता है।
- घर में पूजा के लिए डेढ़ इंच से छोटी और बारह इंच से बड़ी मूर्ति का प्रयोग नहीं करना चाहिए। घर में पीतल या अष्ट धातु की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए।
- मंदिर में सूर्योदय और सूर्यास्त के समय आरती अवश्य करें। पूजा संबंधी चीजों को रखने के लिएअलग ऊंची अलमारी बनवाएं।
आदरणीय सर , बहुत ज़रुरी विषय चुना आपने आज, हम घर पूजन विधान ना जानते हुए अपना ही नुक्सान कर बैठते हैं, न विधि का पता न किसी नियम का, ऐसा पूजन और श्रद्धा भी घातक हो चुकी है, आपसे अनुरोध है कि ऐसी मूलभूत विषयों पे ज्यादा से ज्यादा लिखें जिससे जन कल्याण हो एवं नुक्सान से बचे रहकर ईश्वर उपासना का लाभ सभी लोग ले सकें.
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