सातमुखी रुद्राक्ष
रुद्राक्ष कई प्रकार के बताए गए हैं। हर रुद्राक्ष की अपनी अलग विशेषता है। अगर रुद्राक्ष के ऊपर सात धारियां हैं, तो वह सातमुखी रुद्राक्ष कहा जाता है। इस रुद्राक्ष को सप्तऋषियों का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस रुद्राक्ष का उपयोग मारकेश की दशा में किया जाए, तो धारक को लाभ होता है। कुछ वैदिक ग्रंथों में बताया गया है कि यह रुद्राक्ष ब्रह्माणी, महेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, इंद्राणी, चामुंडा और महागौरी सात देवियों का मिश्रित रूप है। इसे धारण करने से ज्ञान, तेज, बल, स्वास्थ्य, आदि में लाभ होता है। शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती चल रही हो, तो सातमुखी रुद्राक्ष प्राण प्रतिष्ठित कराकर धारण करना चाहिए। इसे धारण करने से नौकरी और व्यापार में भी उन्नति होती है। अगर कालसर्प योग जन्म कुंडली में हो, तो यह रूद्राक्ष इस दोष को दूर करने में सहायक होता है। अगर कोई बेरोज़गार हैं तो इसके केवल पाँच दाने गले मे पहन लेने चाहिए फिर देखना इसका चमत्कार।
मैने यहाँ केवल सात मुखी रुद्राक्ष ही चुना क्योकि यही एक ऐसा रुद्राक्ष हैं जो सभी प्रकार के कष्टो से निजात दिला सकता हैं। लिखने और कहने के लिए तो यह दो लाइन मात्र हैं परन्तु मे जानता हूँ कि यह किसी का भाग्य बदल सकता हैं।
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