सूर्य के बारह नाम
सूर्यपृथ्वी पर हर प्राणी की जीवनी शक्ति है। रविवार सूर्यदेवता का दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य भगवान की पूजा करने से प्रतिष्ठा और यश में वृद्धि होती है और शत्रु परास्त होते हैं। सूर्य की पूजा एवं वंदना नित्य कर्म में आती है। शास्त्रों में इसका बहुत महत्व बताया गया है। दूध देने वाली एक लाख गायों के दान का जो फल होता है, उससे भी बढ़कर फल एक दिन की सूर्य पूजा से होता है। प्रतिक्षण इस भूमंडल पर सूर्य ऊर्जा का स्राव होता रहता है। इस सृष्टि में जितने भी जीव हैं, सभी को सूर्य ऊर्जा मिलती है। अत: संपूर्ण प्रकृति भगवान सूर्य से इस प्रकार प्रार्थना करती है:
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं, प्रभाकर नमोस्तुते।।
सप्ताश्वरथमारूढं प्रचंडं कश्यपात्मजम्।
श्वेतपद्मधरं देव तं सूर्यप्रणाम्यहम्।
सूर्य पूजा की तरह सूर्य के नमस्कारों का भी महत्व है। सूर्य के बारह नामों द्वारा होने वाले बारह नमस्कारों की विधि यहां दी जा रही है। प्रणामों में साष्टांग प्रणाम का अधिक महत्व माना गया है। यह अधिक उपयोगी है। इससे शारीरिक व्यायाम भी हो जाता है। प्रणाम या नमस्कार करने की सही विधि यह है कि भगवान सूर्य के एक नाम का उच्चारण कर दंडवत करें। फिर उठकर दूसरे नाम का उच्चारण कर फिर दंडवत करें। इस तरह यह बारह नामों के लिए करें।
संकल्प मंत्र:
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: अद्य अहं श्री परमात्मप्रीत्यर्थमादिव्यस्य द्वादश नमस्काराख्यं कर्म
संकल्प के बाद अंजलि में या ताम्रपत्र में लाल चंदन, अक्षत व फूल डालकर हाथों को हृदय के पास लाकर निम्नलिखित मंत्रों से सूर्य को अर्घ्य दें-
एहि सूर्य सहस्रांशो, तेजोराशे जगत्पते।।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्ध्यं दिवाकर।
इसके बाद सूर्यमंडल में स्थित भगवान नारायण का ध्यान करें:
ध्येय: सदा सवितृमंडलमध्यवर्त
नारायण: सरसिजासनसंनिविष्ट:।।
केयूरवान मकरकुंडलवान किरीटी
हारी हिरण्मयवपुर्धृतशंक चक्र:।।
फिर निम्नलिखित नाम मंत्रों से सूर्य को साष्टांग प्रणाम करें:
ॐ मित्राय नम:, ॐ रवये नम:, ॐ सूर्याय नम:, ॐ भानवे नम:, ॐ खगाय नम:,
ॐ पूष्णे नम:, ॐ हिरण्यगर्भाय नम:, ॐ मरीचये नम:, ॐ आदित्याय नम:,
ॐ सवित्रे नम:, ॐ अर्काय नम:, ॐ भास्कराय नम:
इसके बाद सूर्य के सारथि अरुण को अर्घ्य दें और निम्न मंत्र का पाठ करें:
सप्ताश्व: सप्तरज्जुश्च अरुणो मे प्रसीद
ॐ कर्मसाक्षिणे अरुणाय नम:।।
आदित्यस्य नमस्कार ये कुर्वन्ति दिने-दिने।
जन्मांतर सहस्रेषु दरिद्र्यं नोपजायते।
अब सूर्य अर्घ्य का जल मस्तक पर लगाएं और चरणामृत पी लें। सूर्य देव को रोज जल चढ़ाना चाहिए पर रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में सूर्य की महादशा या सूर्य की अंतरदशा चल रही हो, उन्हें भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिए।
Post a Comment