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Religion Logo (प्रतीक चिन्ह)

विश्व के हर धर्म में कोई न कोई प्रतीक है, जो हमें सकारात्मक राह पर चलने का संदेश देते हैं। शास्त्रों में भी ऐसे प्रतीक हैं, जिनका कोई न कोई संदेश अवश्य निकलता है। 
  • स्वस्तिक अत्यंत महत्वपूर्ण चिन्ह है। इसका अर्थ होता है, सब ठीक रहने और सौभाग्य की कामना। स्वस्तिक देश के मंदिरों, चित्रों, शादियों की सजावट, कपड़ों आदि में खूब दिखता है तथा हर पवित्र स्थल पर इसे लगाया जाता है। 
  • त्रिशूल भी महत्वपूर्ण प्रतीक है। हिंदुओं के प्रमुख आराध्य देव भगवान शिव के शस्त्र के रूप में प्रचलित त्रिशूल उनके तीनों रूपों जनक, पालक और संहारक का प्रतिनिधित्व करता है। 
  • बिंदी भी हिंदू धर्म का प्रतीक है। इसे देश में विवाहित स्त्रियां परंपरागत रूप से माथे पर लगाती हैं। यह महिलाओं की ऊर्जा का प्रतीक है। माना जाता है कि इसका प्रयोग महिलाओं को सौभाग्यवती बनाता है। 
  • पूर्णकुंभ का अर्थ है एक घड़े या करवे आदि बर्तन में पानी भरना और इसके ऊपर आम की पत्तियां बिछाकर ऊपर नारियल की स्थापना। इसका प्रयोग काफी धार्मिक क्रियाओं में किया जाता है। यह मां लक्ष्मी का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें बर्तन धरती मां (समस्त जीवन का स्रोत) पानी जीवनदायिनी शक्ति और आम के पत्ते व नारियल दैवीय शक्ति के प्रतीक हैं। 
  • यज्ञोपवीत एक पवित्र धागा है, जिसे हम धारण करते हैं। इसे विशिष्ट दिन बेहद पवित्र प्रक्रियाओं के बाद धारण किया जाता है। माना जाता है कि इसे धारण करने का अर्थ है कि हम भगवान को नमन करते हैं। इसमें तीन धागे होते हैं। ये तीनों ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव के प्रतीक हैं। इसके मध्य में लगी गांठ सर्वोच्च सूत्र का प्रतिनिधित्व करती है। 
  • प्रसाद भी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण प्रतीक माना जाता है। दरअसल यह हमारी अज्ञानता का बोध कराता है, जिसे भगवान को अर्पित किया जाता है। वे इसे स्वीकार कर हमारे शरीर में आध्यात्मिक ज्ञान को पुनर्जीवित करते हैं। प्रसाद को दूसरों के साथ बांटा जाता है। यह ज्ञान बांटने का संदेश देता है।

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