Shiva Ratri Pujan
शिवरात्रि को शिव पुजन का 100 गुणा
फल मिलता है। मै मूल कहानी की और ना ध्यान डालकर शिव पुजन कैसे किया जाये इस और
ज्यादा ध्यान डाल रहा हूँ। इस दिन शिव के जलाभिषेक का विशेष महत्व होता है और यदि
एक दिन पहले अपने घर पर शिवलिंग और गणेश का प्रतिमा बनाने से हजारो गुणा शिव कृपा
प्राप्त होती है साथ ही यदि बेल पत्रो को भी चढाया जाये तो शिव कृपा निश्चित तौर
पर प्राप्त होती है। इस शिव पुजन से सभी मनोकामना पूर्ण होती है। शिव रात्रि मे
रात्रि को जगरण करने का विशेष महत्व होता है। बेल पत्रो को दोबारा और बार बार
चढाया जा सकता है एवं बेल पत्र कभी खंडित नही माने जाते। यह विधि तो साधारण है
परंतु मै दावा करता हूँ कि यह करके शिव से मनचाहा वरदान प्राप्त किया जा सकता है।
पुजन कैसे करे?: शिवरात्रि से एक दिन पहले
जैसा कि आज की रात मे हमें गणपति और शिवलिंग का निर्माण करना है। पहले साफ मिट्टी
लेकर, इसमे पानी थोडा सा,
दूध,
गाय का घी
मिलाकर आटे जैसा गुंद ले। यह ना तो ज्यादा टाईट हो और ना ही ज्यादा पतला होना
चाहिए। कुछ् ऐसा होना चाहिए जिससे प्रतिमा बनाई जा सके। यह मिट्टी कुम्हार से भी
प्राप्त करी जा सकती है। इस मिट्टी को गुन्दते हुये हमे अमृत बीज “बं” का जप करते रहना है।
क्योकि बं को बोलने से हर चीज अमृत हो जाती है। इस मिट्टी से सबसे पहले हमें गणपति
की प्रतिमा बनानी है। जैसे ही प्रतिमा बने इसे बाकी मिट्टी पर लिटाकर रख दे। ध्यान
रहे कि कोई भी प्रतिमा बनाते समय कही रखनी नही है यदि रखनी भी तो सीधे नही खडी करनी।
जब गणपति की प्रतिमा बनाये तब आप इस मंत्र का जप करे। मंत्र “ॐ ह्रीं गं ग्लों
गणपतेः ग्लों गं ह्रीं”। इसके बाद गणपति जी को पुजा
के स्थान पर लिटाकर रखे।
अब आपको प्यारे से शिवलिंग का निर्माण करना
है। बहेडे के फल के बराबर मिट्टी लेकर 108 बार “ॐ नमो हराय” मंत्र का जप
करते हुये एक गोली से बनाते रहे फिर शिवलिंग बनाये
या मै यह कह सकता हूँ कि शिवलिंग की लम्बाई हमारे सीधे हाथ के अगुठे से बडी और एक
बिलान्द से कम होनी चाहिए। शिवलिंग को बनाते समय हमें “ॐ नमो महेश्वराय” मंत्र का जप करना है।
ध्यान रहे कि जब तक शिवलिंग बनाया जा रहा है तब तक यह इसे कही नही रखना है और जब
रखा जाये तब शिवलिंग को सीधे नही रखना है।
पुरानी एक मान्यता है कि जब भी शिवलिंग या
किसी भी प्रतिमा को सीधा कर स्थापित किया जाता है तो सीधा करने से पहले थोडे से
चावल लेकर प्रतिमा के सिर पर लगा कर ही सीधा करना चाहिए। मतलब जब शिवलिंग और गणपति
की प्रतिमा को सीधा करना हो या पुजा स्थान पर रखना हो तो पहले उल्टे हाथ मे चावल
लेकर प्रतिमा पर लगाते हुये सीधा कर पुजा स्थान स्थापित कर दे साथ ही साथ मंत्र
पढे “ॐ नमो शुलपाणि”।
सदा शिव और जगत जननी माता पार्वती |
अब शेष् बची मिट्टी से एक प्यार सा कर्तिकेय
की प्रतिमा बनाये। इस प्रतिमा को इस प्रकार रखे कि इसका मुख शिवलिंग की और हो माने
जैसा शिवलिंग की पुजा कर रहे। बाकी नियम उपरोकत है। इस कार्य को कुवारी लडकी अवश्य
करना चाहिए ताकि जल्द ही शादी हो सके। मंत्र पढे “ ॐ ऐं हुं
क्षुं क्लीं कुमाराय नमः” का भी 108 बार जप
करे। इसके बाद 108 बार “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जप करे। फिर कहे “ हे! पिनाक
नामक धनुष को धारण करने वाले भगवान शिव शंकर नमस्कार,
हे प्रभु आप
हमारे यहाँ पुजा स्थान पर आ जाये और अपना स्थान ग्रहण करे।“ या कहे कि “ॐ नमः महेश्वराय इहागच्छ
इहातिष्ठ”
पुजा के लिए सभी मुर्ति तैयार है। अब आप शिवरात्रि
के दिन इन मूर्ति का पुजन कर सकते है। शिव रात्रि के अगले दिन इन सबको जल मे या किसी
मन्दिर मे छोड आये। एक बात का ध्यान रहे कि जब इस शिवलिंग को जल अर्पित किया जाये
तो जमीन पर ना गिरे बार मे किसी साफ स्थान मे छोड दे। तुलसी को यह जल अर्पित ना
करे।
अब आप शिवरात्रि को दिन मे और रात मे कई बार
पुजन करें। पुजन पंचोपचार आदि किया जाया सकता है। जैसे धूप,
दीप,
नैवेध(मिठाई),
बेलपत्र, बेलफल,
धतुरा,
बेर,
भांग आदि
प्रदार्थ से किया जाना चाहिए। मंत्रो मे मंत्र ॐ नमः शिवाय है।
काम्य प्रयोग:
ह्रीं ॐ नमः शिवाय ह्रीं मंत्र का जप 108 बार
करें और बेल फल चढाये इस रात्रि मे तीन बार करे तो कन्या को मनचाहा वर मिलेगा ही
इसमे कोई संशय नही है।
ह्रीं ॐ नमः शिवाय
ह्रीं का
108 बार तीन बार रात्रि को जप करते हुये अमृता या गिलोय से आहूति को पलाश की समीधा
से देते रहे। ऐसा करने से लडके को मनचाही पत्नी मिलती ही है।
क्लीं ॐ नमः शिवाय क्लीं – 108 बार जप रात्रि मे तीन बार करने तीन-तीन दूर्वा एक
बार मे प्रयोग करते हुये बेल की समीधा से हवन करने पर प्यार करने वाले को मनचाहा
प्यार मिलता ही है ना यकीन हो तो एक बार करके देखा आपका प्यार पति या पत्नी बनकर
जीवन मे आ जायेगा।
विवाह मे देरी होने पर यह प्रयोग करे।
सामग्री बेल का फल, तिल, खीर, सवा पाव घी, सवा पाव दूध,
सवा पाव दही,
108 दूर्वा,
चार अंगुल
बट की 5 लकडी, चार अंगुल पलाश की लकडी 5 पीस, चार अंगुल की खेर या
कत्था की लकडी 5 पीस। यह सब रात्रि मे शिव को अर्पित करे। तीन बार रात्रि मे पुजन
करे। मंत्र इस पुजन मे जो होना चाहिए वो है “ॐ नमो भगवते रुद्राय”। इसका जप 108 बार और तीन समय मे किया जाना चाहिए।
सबसे पहले स्नान कर माथे पर भस्म से तिलक करे
और रुद्राक्ष की माला पहनकर शिव मन्दिर मे जाये। फिर नाम और गोत्र आदि बोलकर,
किसी देवता
का पुजन कर रहे है और क्यो कर रहे यह बताना अनिवार्य है। हाथ मे जल रखकर संकल्प
करे। कहे कि “ शिवरात्रि व्रतं संकल्प
करिष्येsहं महाफलम,
निर्विघ्नमस्तु
मे चात्र त्वत्प्रसादाज्जगत्पते”
प्रथमे प्रहर मे संकल्प करके दूध से
स्नान कराये और कहे “ॐ ह्रीं ईशानाय नमः”
द्वितीय प्रहर मे दही से स्नान कराये
और कहे “ॐ ह्रीं अधोराय नमः”
तीसरे प्रहर मे घी से स्नान कराये और
कहे “ॐ ह्रीं वामदेवाय नमः”
चौथे प्रहर मे मधु से स्नान कराये और
कहे “ॐ ह्रीं सद्योजाताय नमः”
यथा सम्भव ह्रीं
ॐ नमः शिवाय ह्रीं मंत्र का जप करे।
यदि एक व्यक्ति एक मिनट मे ह्रीं ॐ नमः शिवाय ह्रीं का जप होता है – 20 बार तो
60 मिनट मे 20*60 = 1200 बार एक घंटे
मे तो दो घंटे मे 2400 बार हुआ तो 2400 को जब 100 (शिवरात्रि के
फल स्वरुप) से गुणा करेगे तो जप संख्या करीब 2400*100 होती है = 2,40,000,
मतलब कि ढाई
लाख मंत्र जप करने पर निश्चित तौर पर यह कहा जाता सकता हैं कि भगवान शिव
की कृपा से आपका छोटा मोटा कार्य तो यूँ ही हो जायेगा। इन प्रयोग से कुछ
समस्यों जड
से समाप्त किया जा सकता है। इस दिन शिवलिंग और बहिलीये वाली कथा को रात्रि मे पढते
और सुनने से भी तीन जन्मो के पाप नष्ट होते है।
प्रणाम
ReplyDeleteक्या हम ' क्लीं ॐ नमः शिवाय क्लीं ' मंत्र की रोज एक माला दिया जलाके कर सकते हे? में शिवजी का भक्त हूँ और लगभग एक साल से रोज उनकी पूजा कर रहा हूँ पर वोह प्रसन्न नहीं हो रहे.
कृपया मार्गदर्शन करे.
guruji pranam . main falguni aaj ek baat dil me aaya aap ko mere tantra guru rup me milna mere purv janam ka bohot punya phal hai ,aur sirji mai aap ke samne kuch bhi nahi ,na mai aapko santusht karney ki qubiliyat rakhtha hu,phir bhi aapney jo mera haath pakar liya ye bhi aapka hi kripa hai .agar mera juban se baat boltey huey mujhe koi galti ho jaye(jo ki hata hai) to mujhe murkh samajh ke maap kar dena .aur sir aagey bhi saath chalna.aur tapasya karwa lena. you are great sir .aap ki charono par koto koti pranam
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