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ग्रहों शांति के स्नान (Ayurveda Bath for Navgarh)

आमतौर पर ग्रहों को मनाने के लिए पूजा-पाठ या जप-तप का सहारा लिया जाता है। इसलिए यदि औषधियुक्त पौधों या जड़ी-बूटियों का मिश्रण स्नान के पानी में किया जाए, तो जातक को आरोग्य तो मिलेगा, साथ ही ग्रह भी प्रसन्न् होंगे। यानी उसका जीवन सुख-शांतिमय होने की गारंटी हो जाएगी। 

सूर्य: अर्क पर सूर्य का अधिकार है। इसकी जड़ धारण करने से सूर्य प्रसन्न होते हैं। स्नान के पानी में यदि केसर, कमलगट्टा, जटामासी, इलायची, मैनसिल, खस, देवदारू और पाटले का चूर्ण डाल दिया जाए, तो सूर्य भी प्रसन्न होंगे और आरोग्य भी मिलेगा। 

चंद्रमा: पलाश पर चंद्रमा का अधिकार माना गया है। पंचगव्य, बेलगिरी, गजमंद मिले पानी से स्नान करने पर चंद्रमा की शांति होती है। अगर जातक शंख या सीपी से स्नान करे, तो चंद्रमा जनित अनिष्ट प्रभावों का असर कम होता जाता है। 

मंगल: खदिर यानी खैर वृक्ष पर मंगल का अधिकार है। लाल चंदन, बेलागिरी, बैंगन, मूल, प्रियंगु, खरेटी, जटामासी, सुगंधबाला और नागकेसर सभी को मिलाकर पीस लें। अब एक चुटकी मिश्रण प्रतिदिन स्नान के जल में डालकर प्रयोग करें। लाभ होगा। 

बुध: अपामार्ग यानी उल्टा कांटा, बुध की औषधि मानी गई है। अगर स्नान के पानी में नागकेसर, पोकर मूल, चावल, मोती, गोशेचन, मुलेठी, मैनफले, पंचगव्य के मिश्रण को डालकर प्रयोग किया जाए, तो जातक पर बुध का दुष्प्रभाव खत्म होता जाएगा। 

गुरु : पीपल पर बृहस्पति का अधिकार है। पीली सरसों, जेठी, सुगंध बाला, मालती पुष्प और जुही का प्रयोग स्नान के पानी में करने से जातक को गुरु की कृपा मिलती है। 

शुक्र : ऐसा माना जाता है कि गुलर के पेड़ की जड़ धारण करने से शुक्र प्रसन्न होते हैं। सफेद कमल, मैनशिल, इलायची, पोकर मूल, केसर मिश्रित जल से यदि जातक प्रतिदिन स्नान करे, तो उसे शुक्र के अनिष्ट फलों से छुटकारा मिल जाएगा। 

शनि : शनि का अधिकार खेजड़े के पेड़ पर है। अगर स्नान के दौरान जल में काला सूरमा, काले तिल, खरीटी, सौंफ का प्रयोग किया जाए, तो शनि देव प्रसन्न होते हैं। जिन लोगों की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है, उन्हें शनिवार को तेल मालिश करके इस औषधि युक्त जल से स्नान करने से लाभ मिलेगा। 

राहु : जो जातक राहु जनित दुष्प्रभावों से पीड़ित हैं, उन्हें सुगंधबाला, नागरमोथा, कस्तूरी, गजमद व दूर्वा डालकर उस जल से स्नान करने से लाभ मिलता है। राहु की शांति के लिए जड़ समेत दूर्वा उखाड़कर प्रयोग करना भी लाभकारी माना गया है। 

केतु : वैसे तो कुशा धारण करने से केतु प्रसन्न होते हैं। पर अगर स्नान के पानी में लाल चंदन, रतनजोत, नागर मोथा, कस्तूरी, गजमद, सुगंधबाला, अनार आदि मिलाकर स्नान किया जाए, तो जातक को लाभ होता है।

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