Rudraksha Used As Medicine
रुद्राक्ष का आध्यात्मिक महत्व तो सभी जानते हैं। पर आयुर्वेद में भी इसे महाऔषधि से कम नहीं माना गया है। यह उष्ण और अम्ली तत्वों से भरा होता है, जिससे इसमें वात और कफ जन्य रोगों का नाश करने की क्षमता आ जाती है। अम्ल और विटामिन सी युक्त होने की वजह से यह रक्तवर्द्धक, रक्तशोधक तथा रक्त विकास नाशक होता है। उष्ण होने की वजह से सर्दी के मौसम में इसकी उपयोगिता बढ़ जाती है। हर रुद्राक्ष में अलग-अलग गुण होते हैं। यदि दस मुखी रुद्राक्ष को दूध के साथ घिसकर खांसी के रोगी को दिन में तीन बार चटाया जाए, तो खांसी जड़ से नष्ट हो जाती है।
चतुर्मुखी रुद्राक्ष को दूध में उबालकर बीस दिनों तक पीने से मन और मस्तिष्क की सारी व्याधियां दूर हो जाती हैं। स्मरण शक्ति बढ़ाने में भी रुद्राक्ष अति उपयोगी है। रुद्राक्ष को धारण करने से भी कई रोगों में लाभ मिलता है। गले में केवल एक या तीन रुद्राक्ष धारण करने से गले की खराश समाप्त हो जाती है। इससे टॉसिल नहीं बढ़ता, दंत पीड़ा नहीं होती और आवाज का भारीपन समाप्त हो जाता है। रुद्राक्ष के दानों को रात में पानी में भिगों दें। सुबह पानी में से दाने निकालकर उस पानी का सेवन करने से हृदय रोग तथा कब्ज, गैस आदि में लाभ मिलता है। इसके दाने रोगी के शरीर की अनावश्यक गर्मी को खींचकर उसे बाहर निकाल देते हैं, जिससे मन को शांति मिलती है।
धन्यावाद श्रीमान जी,
ReplyDeleteआशा करते है आपके कुछ काम आ सके।