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ॐ का महत्तव (Om)

हिंदू धर्म में कई प्रतीकों का वर्णन किया गया है। ये सारे प्रतीक प्रतिदिन पूजा के दौरान उपयोग में भी लाए जाते हैं। या फिर इनके उपयोग से चमत्कारिक परिवर्तन की बात शास्त्रों में बताई गई है। मसलन ॐ सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह तीन ध्वनियां देता है। इन्हीं से इसका महत्व बढ़ जाता है। यह तीन लोकों पृथ्वी, वायु और स्वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है और त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु, महेश का भी प्रतीक माना जाता है। इसे हिंदू धर्म के पूज्य तीन वेदों-ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद का प्रतिनिधि भी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार यह ब्रह्मांड की सबसे पवित्र ध्वनि है। पूरे ब्रह्मांड और इसकी समस्त वस्तुओं का अस्तित्व इसी की वजह से है। हिंदू धर्म में पूजा की शुरुआत और अंत में ॐ का उपयोग किया जाता है। ध्यान और योग की विभिन्न मुद्राओं के दौरान भी इसका उच्चारण करने का विधान है। माण्डुक्य उपनिषद् के अनुसार ॐ में भूत, वर्तमान और भ्विष्य सब निहित हैं। इसके उच्चारण के दौरान ही इनका प्रतिनिधित्व होता है। इस गहन आध्यामिक शब्द में ही परमानंद छिपा है। भागवद्गीता में भी कहा गया है कि इसी शब्द से सर्वोच्च ईश्वर और मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है॥ मात्र ॐ के जप से भी धन धान्य मे वृद्धि होती है। ॐ का जप एक श्वांस मे एक ही बार करना चाहिए। जब सांस लिया जाये ब्रह्मा का स्मरण, जब सांस रोका जाये विष्णु और जब सांस छोडा जाये तब शिव का स्मरण करना चाहिए।

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