Shwetark Ganpati for Health and Wealth
स्वास्थ्य और धन के लिए श्वेत आर्क गणपति:
वैसे इसकी दिन विशेष के दिन पूजा करने से साधक को काफी लाभ होता है। अगर रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र में विधिपूर्वक इसकी जड़ को खोदकर ले आएं और पूजा करें, तो कोई भी विपत्ति जातकों को छू भी नहीं सकती। ऐसी मान्यता है कि इस जड़ के दर्शन मात्र से भूत-प्रेत जैसी बाधाएं पास नहीं फटकती। अगर इस पौधे की टहनी तोड़कर सुखा लें और उसकी कलम बनाकर उससे यंत्र का निर्माण करें, तो यह यंत्र तत्काल प्रभावशाली हो जाएगा। इसकी कलम में देवी सरस्वती का निवास माना जाता है। वैसे तो इस जड़ के प्रभाव से सारी विपत्तियां समाप्त हो जाती हैं। पर इस जड़ की लकड़ी में गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर बनाएं। यह आपके अंगूठे से बड़ी नहीं होनी चाहिए। इसकी विधिवत पूजा करें। पूजन में कनेर के पुष्प अवश्य इस्तेमाल में लाएं।
इसकी जड़ में दस से बारह वर्ष की आयु में गणेश की आकृति का निर्माण होता है। वैसे इसका प्रयोग चर्म रोगों, पाचन समस्याओं, पेट के रोगों, ट्यूमरों, जोड़ों के दर्द, घाव और दाँत के दर्द को दूर करने में किया जाता है। इस पेड़ का दूध गंजापन दूर करने और बाल गिरने को रोकनेवाला है। इसके फूल, छाल और जड़ दमे और खाँसी को दूर करने वाले माने गए हैं। धार्मिक दृष्टि से श्वेत आक को कल्प वृक्ष की तरह वरदायक वृक्ष माना गया है। श्रद्धा पूर्वक नतमस्तक होकर इस पौधे से कुछ माँगने पर यह अपनी जान देकर भी माँगने वाले की इच्छा पूरी करता है। यह भी कहा गया है कि इस प्रकार की इच्छा शुद्ध होनी चाहिए। ऐसी आस्था भी है कि इसकी जड़ को पुष्य नक्षत्र में विशेष विधिविधान के साथ आमंत्रित कर जिस घर में स्थापित किया जाता है वहाँ स्थायी रूप से लक्ष्मी का वास बना रहता है और धन धान्य की कमी नहीं रहती।
श्वेतार्क वृक्ष से सभी परिचित हैं। इसे सफेद आक, मदार, शिवाछान, श्वेत आक, राजार्क, गणरूपी आदि नामों से जाना जाता है। सफेद फूलों वाले इस वृक्ष को गणपति का स्वरूप माना जाता है। इसलिए प्राचीन ग्रंथों के अनुसार जहां भी यह पौधा रहता है, वहां इसकी पूजा की जाती है। इससे वहां किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती।
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इस मंत्र “ॐ पंचाकतम् ॐ अंतरिक्षाय स्वाहा” से पूजन करें और इसके पश्चात इस मंत्र “ॐ ह्रीं पूर्वदयां ॐ ह्रीं फट् स्वाहा” से 108 आहुति दें। लाल कनेर के पुष्प, शहद तथा शुद्ध गाय के घी से आहुति देने का विधान है। यह पूजन 31 दिनों तक करें और प्रतिदिन 11 माला "ॐ गणेशाय नमः" का जप करें। अब “ॐ ह्रीं श्रीं मानसे सिद्धि करि ह्रीं नमः” मंत्र बोलते हुए लाल कनेर के पुष्पों को नदी या सरोवर में प्रवाहित कर दें।
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