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दर्पण आप और हम रोज देखते हैं। हमारे सजने-संवरने में वह एक सुलभ और बेहतर माध्यम है। लेकिन दर्पण के कई उपयोग हैं। मसलन वास्तु के दृष्टिकोण से देखा जाए, तो दर्पण घर में सकारात्मक शक्तियों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चीनी वास्तु में तो दर्पण का प्रयोग अच्छे प्रभाव को बढ़ाने तथा नकारात्मक ऊर्जा को पलटकर उसके प्रभाव को अच्छा करने के लिए किया जाता है। पर एक ही दर्पण हर जरूरत के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। अलग-अलग आकार के दर्पण हों, तो वह विभिन्न परेशानियों को दूर भगाने में कारगर साबित होते हैं। वैसे तो दर्पण के लिए ईशान यानी उत्तर-पूर्व का कोना अच्छा माना जाता है। पर व्यवसाय में उन्नति के लिए दक्षिण दिशा में गोल दर्पण लगाना हितकर रहता है। लेकिन यह उपाय भारत में आसानी से स्वीकृत नहीं है। असल में यहां उत्तर में कुबेर का वास माना जाता है और जब दक्षिण की दीवार पर दर्पण लगाया जाएगा, तो उत्तर से आने वाले प्रतिबिंब दर्पण में दिखाई देंगे और कुबेर के लाभ से आप वंचित हो जाएंगे। वैसे हर देश के वास्तुशास्त्र में यह बताया गया है कि नुकीले, भारी और टूटे हुए दर्पण के प्रयोग से हमें बचना चाहिए।
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