Header Ads

ad

सीढ़ियां वास्तु

घर को खूबसूरत बना देती हैं। इसके साथ ही घर में खुशहाली लाने में इनकी अहम भूमिका है। और वास्तुशास्त्र के अनुसार अगर घर में सीढ़ी अनुकूल हो, तो उस घर में संपन्नता, अच्छा स्वास्थ्य और सफलता का वास होता है। आमतौर पर घर में दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में सीढ़ी होना अच्छा माना जाता है। इसके साथ यह भी हिदायत दी जाती है कि उत्तर और उत्तर-पूर्व में सीढ़ी का निर्माण नहीं किया जाए। इसके अलावा कई और भी बातें हैं, जो सीढ़ी को सकारात्मक बनाती हैं
  • सीढ़ी कभी भी मुख्य दरवाजे के अलावा बाथरुम या शयनकक्ष के ठीक सामने नहीं होनी चाहिए और न ही इसे घर के बीचोंबीच बनवाना चाहिए। घर का केंद्र ब्रह्मस्थान कहलाता है।
  • सीढ़ियां विषम संख्या यानी 09, 11 अथवा 13 की संख्या में होनी चाहिए। साथ ही हर सीढ़ी दूसरी सीढ़ी के साथ जुड़ी हो।
  • कभी भी सीढ़ी के नीचे किचन, बाथरूम या पूजा घर न बनवाएं। इस स्थान का उपयोग स्टोर रूम के लिए किया जा सकता है।
  • सीढ़ी के नीचे भगवान की या दूसरी तस्वीर न टांगें। दरअसल हम सीढ़ी के ऊपर से जब भी जाएंगे, तो भगवान का अपमान हो सकता है।
  • सीढ़ी जरूरत से ज्यादा पतली नहीं होनी चाहिए। अगर ऐसा है, तो घर में रहने वाले लोगों के मन में डर समाया रहेगा या उनमें ईर्ष्या की भावना उत्पन्न होगी। साथ ही इसे अधिक चौड़ा भी नहीं होना चाहिए। यानी सीढ़ी का आकार संतुलित ही रहना चाहिए।
  • घर या संस्थान में एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक जाने वाली सीढ़ी बिल्कुल सीधी होनी चाहिए। इसमें अधिक कोण (घुमाव) नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा है, तो उस घर या संस्थान में रहने वाले लोगों के लिए आसान लक्ष्य भी कठिन प्रतीत होने लगता है।
  • घर में घुमावदार सीढ़ी खूबसूरती के लिहाज से अच्छी तो लगती है, पर इससे घर में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर भी पड़ता है। खासकर अगर यह घर के केंद्र में स्थित हो। अगर यह घर में किसी दूसरे स्थान पर है, तो घर में रहने वाले लोगों को गंभीर बीमारियां होने की आशंका रहती है।

No comments

अगर आप अपनी समस्या की शीघ्र समाधान चाहते हैं तो ईमेल ही करें!!