दीपावली गणेश महा लक्ष्मी की पूजा
दीपावली में धन की देवी लक्ष्मी की पूजा होती है। यह विष्णु भगवान की पत्नी हैं। दीपावली में मां लक्ष्मी के साथ गणेशजी की संयुक्त पूजा की जाती है। लक्ष्मी की अपनी संतान नहीं, इसलिए माता पार्वती से अपनी व्यथा कही और कार्तिक एवं गणेश में से एक को उनसे मांगा। तब पार्वतीजी ने कहा कार्तिक मुझे छोड़कर नही रह सकता। छह मुख होने के कारण उसे हर समय भूख लगी रहती है और गणेश बहुत ही शरारती हैं। दोनों बेटे के स्वाभाव से मैं परिचित हूं, उन्हें आप नहीं संभाल सकतीं। आप खुद ही चंचल हैं और स्थिर नहीं रहतीं। यह सुनकर मां लक्ष्मी ने कहा मैं दोनों को संभाल सकती हूं और उन्हें अपार प्यार देने में भी सक्षम हूं। तब मां पार्वती गणेश जी को देने को राजी हो गयीं। इस प्रकार गणेशजी को माता लक्ष्मी ने गोद ले लिया और गणेश जी मां लक्ष्मी के दत्तक पुत्र हुए। मां लक्ष्मी ने कहा कि जो भी गणेश के साथ मेरी पूजा करेगा, उस पर मेरी पूरी कृपा होगी। उसी समय से लक्ष्मी-गणेश की संयुक्त पूजा शुरू हुई।
प्रकाश का त्योहार दीपावली उत्सव के साथ ही महालक्ष्मी साधना का भी अवसर है। इस दिन अगर पूरी श्रद्धा से देवी का पूजन किया जाए, तो साधक की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। पर इस पूजा में नियमों व सामग्रियों का ध्यान रखना जरूरी है।
पूजा विधि :
सबसे पहले नहा-धोकर सफेद वस्त्र पहनकर पूजन स्थल पर चौकी रखें। उसके समीप संपूर्ण पूजन सामग्री रखें और आसन बिछा लें। चौकी के सामने भूमि पर अब आसन पवित्रीकरण का मंत्र पढ़कर आसन एवं समस्त सामग्री, समस्त सदस्यों एवं अपने ऊपर जल छिड़कें।
ॐ अपवित्र: पवित्रोवा, सर्वोवस्थांगितोपि वा।
य: स्मरेत पुंडरीकाक्ष: स: वाह्याभ्यान्तर: शुचि।
इसके बाद पति-पत्नी आसन पर बैठ जाएं। पत्नी को बायीं ओर बिठाएं। अब चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। उसके दाहिने कोने पर आटे से अष्टदल कमल की आकृति बनाकर इसके बीच में एक जल भरा लोटा रख दें। अब एक सुपारी को कलावे से लपेटकर लोटे के बगल में स्थापित करें। एक छोटा दीया लोटे के पास रखें। अब एक प्लेट में रोली घोलकर, लोटे पर स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं। लोटे के भीतर जल में थोड़ी रोली डालकर अक्षत एवं फूल डालें और लोटे के मुख को आम या पान के पत्तों से ढंककर उसके ऊपर नारियल रख दें। अब स्वस्ति वाचन करें। इस दौरान पूजन की सारी प्रक्रियाएं भी करते रहें। अब चौकी पर देव प्रतिमाओं के अनुकूल आसान बिछाकर उन आसनों पर देव प्रतिमा स्थापित करें। देव प्रतिमाओं के सामने दो दीपक बड़े तेल से भरकर रखें। दीपकों में बत्ती इस प्रकार डालें कि बत्तियां एक-दूसरे को क्रॉस करती चार दिशाओं में दीपक से बाहर की ओर निकली रहें।
देव प्रतिमाओं के सामने दो छोटी प्लेट या कटोरी रखें, जिनमें देवताओं को दी जाने वाली भोज्य सामग्री रखी जा सके। अब पूजा के पांच चरणों ध्यान, आवाह्न, निवेदन, आरती और विसर्जन के नियमों का पालन करें। शुद्ध जल से भरे पात्र में एक गेंदे का फूल डुबाकर अपने चारों ओर जल छिड़कें और कामना करें कि आपके चारों ओर का क्षेत्र शुद्ध हो।
आवाह्न मंत्र
ॐ गं गणपति एकदंत महाकाय मम गृहे आगच्छ-आगच्छ-फट्।
ॐ गं गणपति एकदंत महाकाय आवाह्यामि स्थापयामि फट्।
इन मंत्रों का ग्यारह बार जप करें।
महालक्ष्मी आवाह्न मंत्र
ॐ श्रीं महालक्ष्मी देवी मम् गृहे आगच्छ-आगच्छफट्
ॐ श्री महालक्ष्मी देवी आवाह्यामि स्थापयामि फट्।
यह मंत्र भी ग्यारह बार जपें। अब दीप जलाएं और पूजन विधि पूर्ण करें। देवताओं को उनकी प्रिय वस्तुएं भेंट करें, श्री गणेश को दूब और देवी महालक्ष्मी को कमल के फूल पंखुड़ियां खोलकर भेंट करें। गणेश जी को बेसन के लड्डू, बूंदी के मोदक एवं देवी महालक्ष्मी को छेने के सफेद रसगुल्ले का भोग लगाएं।
इस दिन अगर भक्त कमलगट्टे की माला से "ॐ श्रीं महालक्ष्मी नम:" मंत्र का जप 108 बार करें, तो लाभ होगा।
अगली सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर देवी महालक्ष्मी और श्रीगणेश को प्रणाम करते हुए, पूजन का विसर्जन करें।
ॐ यानि कानि च पापानि ब्रह्महत्या समानि, तानि तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिणां पदे पदे
ॐ केतकी जाति कुसुमैमल्लिका मालती भवै पुष्पांजलिर्मयादत्ततां वाप्प्राप्यै नमोस्तुते।
अब
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।
मया यत्पूजितं देवी परिपूर्ण तदस्तु मे।
मंत्र बोलते हुए विसर्जन करें। इस प्रकार पूजन करने से आपको गणेश-लक्ष्मी की कृपा मिलेगी और जीवन समृद्धिमय होगा। गणेश-लक्ष्मी की पूजा की जाए, तो पूरे परिवार को सुख और समृद्धि मिलती है।
इस पुजा के साथ साथ अगर राशिफल को भी त्योहार के रंग में शामिल कर लिया जाए, तो त्योहार की खुशी दुगुनी हो सकती है। आइए जानते हैं, राशि अनुसार कैसी रहेगी यह दीपावली
इस पुजा के साथ साथ अगर राशिफल को भी त्योहार के रंग में शामिल कर लिया जाए, तो त्योहार की खुशी दुगुनी हो सकती है। आइए जानते हैं, राशि अनुसार कैसी रहेगी यह दीपावली
मेष राशि: यह दीपावली मेष वालों के लिए व्यापार वृद्धि और धन प्राप्ति का नूतन संदेश लेकर आ रही है। महालक्ष्मी यंत्र का पूजन श्रेष्ठ रहेगा।
वृष राशि: इस राशि के जातकों के लिए संघर्ष के साथ धन आगमन का शुभ योग बन रहा है। अगर कनकधारा यंत्र स्थापित कर, उसका अभिषेक करें, तो लाभ होगा।
मिथुन राशि: मिथुन के जातकों के लिए दीपावली कार्य सिद्धि और धन लाभ का संदेश लेकर आई है। और अधिक उन्नति के लिए व्यापार वृद्धि यंत्र तिजोरी में स्थापित करें।
कर्क राशि: इस राशि के जातक वाद-विवाद और कलह से बचें, तो उनकी दीपावली शानदार होगी। कलह निवारण यंत्र रखना उचित रहेगा।
सिंह राशि: अगर सिंह राशि के जातक कुबेर यंत्र की पूजा करें, तो यह दीपावली उनके लिए द्रव्य प्राप्ति और धन लाभ का सुखद संदेश लाएगी।
कन्या राशि: इस राशि के जातकों के लिए इस दीपावली श्री यंत्र स्थापित करने और गरीब को भोजन कराने से लाभ होगा।
तुला राशि: इस साल दीपावली में तुला राशि के जातकों का भाग्योदय होगा। इनके लिए बीसा यंत्र की स्थापना करना विशेष लाभदायी रहेगा।
वृश्चिक राशि: अगर इस राशि के जातक गुरु यंत्र की स्थापना करें, तो इनकी दीपावली कम व्यय वाली हो सकती है।
धनु राशि: धनु के जातकों के लिए इस साल की दीपावली विशेष लाभ का योग लेकर आ रही है। इनके लिए नवग्रह यंत्र की स्थापना करना उचित रहेगा।
मकर राशि: मकर के जातकों के लिए यह दीपावली नए कार्य में सफलता का संदेश लेकर आ रही है। इनके लिए कार्यसिद्धि यंत्र उपयोगी रहेगा।
कुंभ राशि्: इस राशि के जातकों के लिए इस साल की दीपावली भाग्योदय का अवसर लेकर आ रही है। अगर ये शनि यंत्र स्थापित करें या फिर काले घोड़े की नाल का छल्ला धारण करें, तो लाभ होगा।
मीन राशि्: इनके लिए यह दीपावली सावधान रहने का संदेश लेकर आई है। इनके लिए महामृत्युंजय मंत्र का पूजन लाभदायी रहेगा।
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