स्वस्तिक ॐ और त्रिशूल
प्राचीन काल से ही शुभ प्रतीक चिन्हों का प्रचलन रहा है। आम लोग जीवन में शुभता लाने के लिए शुभ प्रतीक का उपयोग करते रहे हैं। स्वस्तिक, ॐ और त्रिशूल ऐसे ही पारंपरिक चिन्ह हैं, जिनका प्रयोग हर शुभ कार्य के दौरान किया जाता है। आप चाहें तो इन प्रतीकों को धातु या लकड़ी के रूप में भी स्थापित कर सकते हैं। या फिर पेंटिंग के रूप में बनाकर अपने मुख्य द्वार, डाइनिंग रूम आदि में भी टांग सकते हैं। घर की सुरक्षा या उसे नजर दोष से बचाने के लिए इन भाग्यशाली प्रतीकों को बनवाकर किसी शुभ समय में किसी योग्य पंडित या ज्ञाता से गायत्री मंत्र अथवा महामृत्युंजय मंत्र से सिद्ध कराकर अपने घर में सबसे ऊंचे स्थान या मुख्य द्वार पर लगा देने से यह पूरे घर के लिए सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है। अगर आप अपने कागजात की फाइल में इसका चित्र लगाते हैं, तो भी आपको इसकी शुभता मिलेगी। अगर इन प्रतीकों को रंगीन बनाना चाहते हैं, तो ध्यान रखें कि बाहर का सुरक्षा घेरा गहरे नीले रंग का, अंदर का सुरक्षा घेरा लाल रंग का, त्रिशूल तांबे के रंग का और ॐ केसरिया रंग का हो।
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