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शिव की उपासना करे (Shiva Pujan for Monday and Shivaratri)


पुण्येन जायते पुत्र: पुण्येन लभते श्रियम। पुण्येन रोगनाश: स्यात सर्वशास्त्रेण सम

माता पार्वती को समझाते हुए भगवान् शिव कहते हैं, ‘प्रियतमे ! पुण्य कर्मों से ही वंश की वृद्धि होती है। पुण्य कर्म करने से ही जीव कीर्तिवान होता है और इसी पुण्य कर्म में लगे रहने से शरीर के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं।’ 

शास्त्र कहते हैं कि अवश्यमेव भोक्तव्यम कृते कर्म शुभाशुभं अर्थात मनुष्य को अपने द्वारा किए हुए पाप-पुण्य जनित कर्मों का फल भोगना पड़ता है। जीव पाप करके भी तभी तक सुखी रह पाता है, जब तक कि उसके द्वारा संचित पुण्य कर्मों का कोष खाली नहीं हो जाता। कोष खाली होते पाप कर्मों का फल मिलने लगता है। फिर जीवात्मा इतनी परेशान हो जाती है कि उसे बचने का कोई भी मार्ग दिखाई नहीं देता। श्रावण मे स्वयं भगवान शिव माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी और अपने शिवगणों सहित पूरे माह पृथ्वी पर विराजते हैं। यही शिव जब जीव का संहार करते हैं, तो महाकाल बन जाते हैं। यही शिव महामृत्युंजय बनकर उसी जीव कि रक्षा भी करते हैं और शंकर बनकर जीव का भरण-पोषण भी करते हैं, तो रुद्र बनकर महाविनाशलीला भी करते हैं। अर्थात स्वयं शिव ही ब्रह्मा और विष्णु के रूप में एकाकार देवो के देव महादेव बन जाते हैं। इन्हीं महादेव को प्रसन्न करने के लिए अच्छे अवसर के रूप में मासिक शिवरात्रि का पावन पर्व आता है। आप शिव की आराधना पंचामृत से करें, तो अति उत्तम रहेगा। शिव की पूजा ही ऐसी पूजा है, जिसमें केवल पत्रं-पुष्पं-फलं-तोयं अर्थात पत्र, पुष्प, फल और जल से करके पूर्ण फल प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए जो भी आप के पास सामग्री हो, उसी को लेकर श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान शिव की पूजा करें।

"ॐ नम: शिवाय करालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नम: शिवाय।"

इस मंत्र का जप करते रहें। साथ ही "ॐ नमो भगवते रुद्राय" का जप भी कर सकते हैं। ऐसा जपते हुए बेलपत्र पर चंदन या अष्टगंध से राम-राम लिखकर शिव पर चढ़ाएं। पुत्र की इच्छा रखने वाले शिव भक्त मंदार पुष्प से, घर में सुख-शांति चाहने वाले धतूरे के पुष्प अथवा फल से शत्रुओं पर विजय पाने वाले अथवा मुकदमों में सफलता की इच्छा रखने वाले लोग भांग से शिव की पूजा करें, तो सभी तरह की पराजय की संभावनाएं समाप्त हो जाएंगी। संपूर्ण कष्टों और पुनर्जन्मों से मुक्ति चाहने वाले मनुष्य गंगा जल और पंचामृत चढ़ाते हुए

ॐ नमो भगवते रुद्राय, ॐ तत्पुरुषाय विध्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।

यह मंत्र पढ़ते हुए सभी सामग्री जो भी यथासंभव हो समर्पण भाव से शिव को अर्पित करें। आज आप श्रद्धा भाव और विश्वास के साथ जो भी करेंगे महादेव आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे।

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