Shiva Ke Sang Navgrah Pujan
भगवान शिव भक्तों के लिए पूजनीय होने के साथ-साथ अचरज का विषय भी हैं। उनकी वेषभूषा, वाहन आदि के बारे में अलग-अलग कहानियां प्रचलित हैं। इसी प्रकार उनकी तीसरी आंख भी विशेष है। इसी वजह से इनका एक नाम त्रयंबक भी है। उनकी कुल तीन आंखों में से दायीं आंख को सूर्य तथा बायीं आंख को चंद्र कहा जाता है। जबकि मस्तक पर बनी तीसरी आंख अग्नि का स्वरूप मानी जाती है। इनकी दो आंखें भौतिक जगत में उनकी सक्रियता का परिचायक हैं और तीसरी आंख सामान्य से परे का सूचक है। यह आध्यात्मिक ज्ञान और शक्ति का सूचक है। अग्नि की तरह ही भगवान शिव की तीसरी आंख पापियों को कहीं से भी खोज सकती है और उन्हें पूरी तरह नष्ट कर सकती है। इसलिए दुष्टात्माएं इनकी तीसरी आंख से भयभीत रहती हैं। इनकी आधी खुली यह आंख यह भी बताती है कि संपूर्ण जगत की प्रक्रिया चल रही है। जब भगवान शिव की तीसरी आंख खुलती है, तो एक नए युग का सूत्रपात होता है।
माना जाता है कि श्रावण मास में शिव की पूजा करने से सारे कष्ट खत्म हो जाते हैं। महादेव शिव सर्व समर्थ हैं। वे मनुष्य के समस्त पापों का क्षय करके मुक्ति दिलाते हैं। इनकी पूजा से ग्रह बाधा भी दूर होती है। अगर आपको सूर्य से संबंधित बाधा है, तो विधिवत या पंचोपचार के बाद लाल आक के पुष्प एवं पत्तों से शिव की पूजा करनी चाहिए। अगर आप चंद्रमा से परेशान हैं, तो प्रत्येक सोमवार शिवलिंग पर गाय का दूध अर्पित करें। साथ ही सोमवार का व्रत भी करें। मंगल से संबंधित बाधाओं के निवारण के लिए गिलोय की जड़ी-बूटी के रस से शिव का अभिषेक करना लाभप्रद रहेगा। बुध से संबंधित परेशानी दूर करने के लिए विधारा की जड़ी के रस से शिव का अभिषेक करना ठीक रहेगा। इसी प्रकार बृहस्पति से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए प्रत्येक बृहस्पतिवार को हल्दी मिश्रित दूध शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए। अगर आप शुक्र ग्रह को अनुकूल बनाना चाहते हैं, तो पंचामृत एवं घृत से शिवलिंग का अभिषेक करें। इसी प्रकार शनि से संबंधित बाधाओं के निवारण के लिए गन्ने के रस एवं छाछ से शिवलिंग का अभिषेक करें। राहु-केतु से मुक्ति के लिए कुश और दूर्वा को जल में मिलाकर शिव का अभिषेक करने से लाभ होगा।
सबसे महत्वपुर्ण बात यह है कि शिवलिंग पर चढाये गये एक अखंडित(जो कटा फटा ना हो) बेलपत्र से पिछले तीन जन्मो के पाप तुरंत नष्ट हो जाते है। इसलिए सावन माह मे जितने हो सके बेल पत्र को शिवलिंग पर चढाये।
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