शनि अशुभ या नीच
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ या नीच स्थान में बैठा हो और अशुभ फल दे रहा हो, तो शनि की सेवा करना आवश्यक हो जाता है। शनिदेव को प्रसन्न करने के कई रास्ते शास्त्रों में बताए गए हैं। पर कुछ उपाय इतने सरल हैं, जिन्हें करना हर किसी के लिए आसान होता है। मसलन अगर कौओं को शनिवार के दिन गुलाब जामुन खिलाया जाए, तो शनिदेव की कृपा मिल सकती है। इसी तरह हाथी की सेवा करने से भी शनि देव से सकारात्मक प्रभाव मिल सकता है। हाथी भी काले रंग का होता है, इसलिए उसकी सेवा करना लाभप्रद माना जाता है। वैसे शनिवार को गरीबों को भोजन कराना भी इस दिशा में फायदेमंद माना जाता है। इस दिन अगर काले कुत्ते को तेल की दाल वाली खास्ता कचौड़ी खिलाई जाए, तो यह शनि देव को प्रसन्न करने का कारगर उपाय होगा। हर शनिवार को शनि देव की प्रतिमा को तेल से स्नान कराएं या एक कटोरी में तेल डालकर उसमें अपना चेहरा देखकर उसे दान कर दें, तो इससे भी शनि देव प्रसन्न हो सकते हैं। किसी शनि मंदिर में जाकर शनि चालीसा पढ़ने और दिया जलाने से भी शनि देव प्रसन्न होते हैं।
शनिदेवता को प्रसन्न करने के लिए कई दूसरे देवताओं को भी प्रसन्न किया जा सकता है। अगर हनुमान जी को महीने में एक बार चोला चढ़ाएं, तो इनके साथ-साथ शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा आप रोज मंदिर में इनकी प्रतिमा की आठ बार परिक्रमा करें, तो इससे भी शनि देव की कृपा मिलेगी। आप चाहें तो शिव आराधना से भी शनि कृपा पा सकते हैं। इसके लिए प्रतिदिन 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जप करना श्रेयस्कर रहेगा। यद्यपि सूर्य और शनि को परस्पर विरोधी माना जाता है, पर सूर्य के मंत्रों का नियमित जप करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। अगर शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती का प्रभाव कम करना हो, तो पीपल में जल देना सही रहेगा। या फिर आप हर शनिवार को पीपल की जड़ में दीया जलाएं। शनिदेव की प्रसन्नता हेतु पीपल वृक्ष की स्तुति करते समय इस मंत्र का जप करने से भी लाभ होगा : अश्वत्थ हुतभुग्वाम गोन्दिस्य सदाप्रिय। अशेषं हर मे पापं वृक्षराज नमोस्तुते ते।।
शनिदेवता को प्रसन्न करने के लिए कई दूसरे देवताओं को भी प्रसन्न किया जा सकता है। अगर हनुमान जी को महीने में एक बार चोला चढ़ाएं, तो इनके साथ-साथ शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा आप रोज मंदिर में इनकी प्रतिमा की आठ बार परिक्रमा करें, तो इससे भी शनि देव की कृपा मिलेगी। आप चाहें तो शिव आराधना से भी शनि कृपा पा सकते हैं। इसके लिए प्रतिदिन 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जप करना श्रेयस्कर रहेगा। यद्यपि सूर्य और शनि को परस्पर विरोधी माना जाता है, पर सूर्य के मंत्रों का नियमित जप करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। अगर शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती का प्रभाव कम करना हो, तो पीपल में जल देना सही रहेगा। या फिर आप हर शनिवार को पीपल की जड़ में दीया जलाएं। शनिदेव की प्रसन्नता हेतु पीपल वृक्ष की स्तुति करते समय इस मंत्र का जप करने से भी लाभ होगा : अश्वत्थ हुतभुग्वाम गोन्दिस्य सदाप्रिय। अशेषं हर मे पापं वृक्षराज नमोस्तुते ते।।
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