Medicinal properties of tulsi
घर की दहलीज या आंगन में तुलसी का पौधा पूरे परिवार के स्वास्थ्य के लिए उत्तम
है। तुलसी के पत्तों से निकली गंध पूरे वातावरण को शुद्ध करती है। ऐसा कहा जाता है कि तुलसी
में 27 खनिज होते हैं, जो वायु को कीटाणुरहित करते हुए
दमा, क्षय तथा कुष्ठ जैसे रोगों के निदान के काम आते हैं। यह खून को साफ
करती है तथा पाचन क्रिया को सशक्त करती है। कहते हैं कि तुलसी की गंध के दायरे में रखी चीजें
आसानी से सड़ती नहीं हैं। शायद इसीलिए मृतप्राय: व्यक्ति के मुंह में तुलसी
रखने की परंपरा रही है। भोजन को
दूषित होने से बचाने के लिए भी लोग तुलसी पत्र का इस्तेमाल करते हैं। शास्त्रों में लिखा गया है कि जिनके घर में
तुलसी का लहलहाता पौधा रहता है, उनके यहां वज्रपात नहीं हो सकता।
यानी तुलसी हर रूप में हमारे लिए पूज्य और उपयोगी है।
औषधीय गुण
जो व्यक्ति प्रतिदिन तुलसी की पांच पत्तियां खाता है, उसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत
होती है।
मुंह में छाले होने पर तुलसी एवं चमेली के पत्तों को एक साथ चबाने से छालों में राहत मिलती है।
खाली पेट 2-3 चम्मच तुलसी के रस का सेवन करें, तो शारीरिक बल एवं स्मरण शक्ति में
वृद्धि होती है।
तुलसी पत्ता, अदरक, और काली मिर्च को एक साथ पानी में
उबाल लें। फिर उस पानी को पिएं।इससे जुकाम में आराम मिलता है।
यदि तुलसी की 11 पत्तियों का 4 खड़ी कालीमिर्च के साथ सेवन किया
जाए, तो मलेरिया और मियादी बुखार में
आराम मिलता है।
तुलसी की मंजरी को सुखाकर उसके बीज निकालकर बच्चों को खाना खाने के बाद
देना चाहिए। इससे पेट के कीड़े मर जाते हैं।
खांसी हो, तो तुलसी के बीजों के चूर्ण को शहद
के साथ सेवन करें।
रक्त शुद्धि के लिए तुलसी पत्तों का अर्क निकालकर कुछ समय तक सेवन करें।
तुलसी का सेवन चर्म रोगों में भी लाभदायी होता है।
नोट: किसी उपाय को आजमाने से पहले विशेषज्ञ की राय
अवश्य लें।
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