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1 to 14 Mukhi Rudraksh beads


रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आंखों के जल बिंदु से हुई है। इस बारे में एक कथा प्रचलित है। कहते हैं कि एक बार भगवान शिव ने अपने मन को वश में कर दुनिया के कल्याण के लिए सैकड़ों वर्षों तक तप किया। एक दिन अचानक ही उनका मन दु:खी हो गया। जब उन्होंने अपनी आंखें खोलीं, तो उनमें से कुछ आंसू की बूंदे गिर गईं। इन्हीं आंसू की बूंदों से एक वृक्ष उत्पन्न हुआ। रुद्र का अंश होने के कारण इस वृक्ष को रुद्राक्ष कहा गया। रुद्राक्ष में आमतौर पर एक से लेकर सत्ताइस धारियां होती हैं, जिन्हें मुख कहा जाता है। इन्हीं मुखों के आधार पर उनका वर्गीकरण किया गया है। 

एकमुखी रुद्राक्ष साक्षात शिव का प्रतीक है, जो सभी प्रकार का सुख, मोक्ष और उन्नति प्रदान करता है।

दोमुखी रुद्राक्ष सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाला तथा दांपत्य जीवन में सुख, शांति व तेज प्रदान करने वाला है।

त्रिमुखी रुद्राक्ष को अग्नि का स्वरूप माना गया है, जिसको धारण करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

चतुर्मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म का प्रतीक है, जो धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष प्रदान करता है।

पंचमुखी रुद्राक्ष कालाग्नि रुद्र का स्वरूप है। यह धारणकर्त्ता को हर तरह से सुखी रखता है।

छहमुखी रुद्राक्ष को भगवान कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है। यह रुद्राक्ष पापों से मुक्तिएवं संतान सुख देने वाला है। इसे दाईं भुजा पर धारण करने से ब्रह्म-हत्या जैसे पापों से मुक्ति मिलती है।

सातमुखी रुद्राक्ष दरिद्रता को दूर करने वाला होता है। इसको धारण करने से स्वर्ण की चोरी और गौ-वध के पापों से मुक्ति मिलती है।

आठमुखी रुद्राक्ष को भगवान गणेश का स्वरूप माना गया है। यह आयु और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला है। इसको धारण करने से विभिन्न पापों से मुक्ति मिलती है

नौमुखी रुद्राक्ष का नाम भैरव है, जो मृत्यु के भय को दूर भगाता है। इसे धारण करने से व्यक्ति के भीतर वीरता, पराक्रम, सहनशीलता आदि में वृद्धि होती है।

दसमुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु का स्वरूप है। इसे धारण करने से सभी ग्रह अनुकूल रहते हैं। इससे व्यक्ति का जीवन बाधामुक्त हो जाता है और उसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है।

ग्यारहमुखी रुद्राक्ष भगवान शंकर के ग्यारहवें अवतार हनुमान जी का प्रतीक है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति को सांसारिक ऐश्वर्य तथा संतान-सुख की प्राप्ति होती है।

बारहमुखी रुद्राक्ष को कान में धारण करने से सूर्यादि बारह आदित्य देव प्रसन्न होते हैं। साथ ही यह रुद्राक्ष धन की प्राप्ति भी कराता है।

तेरहमुखी रुद्राक्ष से आर्थिक-समृद्धि आती है।यह नि:संतान को संतति प्रदान करने वाला, वशीकरण के गुण से युक्त सुख-शांति, सफलता दिलाने वाला भी है।

चौदहमुखी रुद्राक्ष संपूर्ण पापों को नष्ट करने वाला है। इसे धारण करने से शनि और मंगल के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है।

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