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मंगलिक दोष Manglik Mangal Dosha



नवग्रहों में मंगल ग्रह को भूमि पुत्र, कुंज आदि नामों से भी जाना जाता है। अगर यह कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या अष्टम भाव में हो, तो जातक को मंगल दोष लगता है। इस ग्रह के अशुभ स्थान पर होने से जातक को दांपत्य सुख में बाधा, भ्रातृ सुख में कमी, अनेक प्रकार की बाधाओं आदि से जूझना पड़ता है। पर थोडे़ मंत्र और पूजा से मंगल ग्रह को भी अनुकूल बनाया जा सकता है। 

इसका वैदिक मंत्र है
ॐ अग्निर्मूर्धा दिव: कुकत्पति: पृथिव्या अयम् अपाहूं रेतासि जिन्वति। 

या फिर जातक चाहें तो पौराणिक मंत्र 
ॐ धरीण गर्भ संभूतं विद्युत कांति समप्रभम्। कुमारं भक्तिहस्तं तं मंगल प्रसाभाभ्यहम्।

मंगल ग्रह का बीज मंत्र
ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:

भी शुभता देता है। वैसे मंगल ग्रह को सकारात्मक बनाने के लिए सामान्य मंत्र
ॐ ऑ अं अंगारकाय नम।

का जप करना भी लाभप्रद माना गया है

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