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Anna Purna Paarvati Ji


पुराण में उल्लिखित है कि तीनों लोक में प्राणी जगत जो अन्न ग्रहण करता है, वह मां अन्नपूर्णा की कृपा से ही प्राप्त होता है। भगवान शिव के अनुसार इस मायावी संसार का एक ही महत्वपूर्ण भाग है, अन्न, जो प्राणियों के शरीर की विभिन्न गतिविधियों के संपादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आदिशक्ति मां अन्नपूर्णा देवी को अन्न की अधिष्ठात्री देवी कहा गया है। अन्नपूर्णा का अर्थ ही है कि जो अन्न से पूर्ण हो। अन्न को देवतातुल्य भी माना गया है। कहा भी गया है, अन्नं ब्रह्मा। पौराणिक काल से ही मां अन्नपूर्णा देवी की पूजा करने का विधान धर्म शास्त्रों में उल्लिखित है। मां अन्नपूर्णा को असंख्य नामों से जाना जाता है, पर मुख्य रूप से उनके 108 नाम ही प्रचलित हैं। शिव शक्ति का रूप होने की वजह से वे संसार में वंदनीय भी हैं। 

मां अन्नपूर्णा की कथा: इस संबंध में एक कथा इस प्रकार है कि जब मां पार्वती ब्रह्मांड से कुछ समय के लिए विलुप्त हो गई थीं, तो पृथ्वी पर त्राहि-त्राहि मच गई। प्राणी जगत भूख से व्याकुल हो गया। तत्पश्चात भगवान शिव ने मां पार्वती की काशी में निर्मित रसोईघर में भिक्षापात्र लेकर विश्व के चर-अचर जीव जगत के कल्याणार्थ अन्न देने की विनती की थी। तभी से मां पार्वती के इसी रूप की अन्नपूर्णा के रूप में पूजा की जाने लगी। इस संबंध में शास्त्रों में वर्णित है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था व सर्वत्र अंधकार था, तब इन्हीं देवी की आदिशक्ति के रूप में ब्रह्मांड की रचना की गई थी। मां अन्नपूर्णा सादगी की भी मूर्ति हैं और वह भक्तों पर शीघ्र प्रसन्न भी हो जाती हैं। मां अन्नपूर्णा की भक्ति से उपासक को जहां अन्न की कमी नहीं होती, वहीं वे उपासक को बुद्धि, ज्ञान, पोषण के साथ अभय भी प्रदान करती हैं। शिव की शक्ति होने की वजह से ही उन्हें जगत में सृष्टिकर्ता व संहारकर्ता शक्ति के रूप में पूजा जाता है। मां अन्नपूर्णा की स्तुति उपासक इन मंत्रों से कर सकते हैं

ॐ अन्नपूर्णा नम: और ॐ हरि नमो भगवती महेश्वरी अन्नपूर्ण स्व:।

उपासक चाहें, तो मां अन्नपूर्णा के गायत्री मंत्र का जप भी कर सकते हैं

ॐ भगवते विद्यामाये महेश्वरे धीमहि तन्नो अन्नपूर्णा प्रचोदयात्।

मां अन्नपूर्णा के और भी मंत्र हैं

ॐ अन्नपूर्णाय नम:। ॐ सदपूर्णाय नम:। ॐ हृं नमो भगवती महेश्वरी अन्नपूर्णे स्वाहा।

देश में कई जगह मां अन्नपूर्णा का मंदिर है। कर्नाटक, केरल और गुजरात में देवी का मंदिर है। इसके अलावा काशी में भी इनका मंदिर है। मां अन्नपूर्णा को पोषण और भोजन की देवी माना जाता है। शास्त्रों में उल्लिखित है कि देवी पार्वती का एक रूप मां अन्नपूर्णा ही सारे संसार का पेट भरती हैं

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