Cold and Cough Season
सर्दी का मौसम और खांसी का संबंध पुराना है। इस मौसम में अधिकांश लोग खांसी के शिकार हो जाते हैं। असल में खांसी का कारण केवल मौसम नहीं होता, बल्कि धुआं, धूल आदि की वजह से भी लोगों को खांसी हो जाती है, जो असहनीय पीड़ा देती है। आयुर्वेद में खांसी के कई प्रकार बताए गए हैं, जिनमें हरेक की प्रकृति अलग-अलग होती है।
पैत्तिक कास लक्षण: इसमें ज्वर, छाती में जलन, प्यास व कड़वी वमन हो जाती है। पूरा शरीर जलनयुक्त व पीला हो जाता है। मुख भी सूखता रहता है। इस तरह की खांसी से निजात पाने के लिए वासावलेह 10 ग्राम की मात्रा बकरी के दूध के साथ लेने से लाभ होता है। प्रवाल भस्म, अभ्रक भस्म, 1/2 ग्राम एक में मिलाकर मुलहठी चूर्ण व शहद के साथ देने से कफ, पित्त और दाह का नाश होता है। साथ ही खांसी भी बंद हो जाती है।
श्लैष्मिक कास का लक्षण: इसमें कफ काफी अधिक निकलता है। फिर भी खांसी कम नहीं होती। सारा शरीर कफ से भरा हुआ प्रतीत होता है। भोजन में अरुचि, शरीर में भारीपन व खुजली, सिर में पीड़ा और मुंह में चिकनाहटयुक्त लेप की अनुभूति होती है। इस तरह की खांसी से निजात पाने के लिए शृंग भस्म, कृष्णम भस्म, रस सिंदूर, टंकण भस्म सभी को अलग-अलग छोटे पीपल के चूर्ण व शहद के साथ लेने से लाभ होता है। वैसे भोजन के बाद कनकासव 1 चम्मच बराबर जल मिलाकर लेने से भी लाभ होता है। सेंधा नमक और सुहागा दोनों समान भाग में लेकर मिट्टी की हांडी में डालकर मुख को बंद करके चारों ओर से उपलों द्वारा फूंक दें। शीतल होने पर सबको पीसकर शीशी में रख लें। दो से चार रत्ती की मात्रा पान के रस व शहद के साथ लेने से श्वास खांसी दूर होती है। 10 ग्राम गुड़, 5 ग्राम कपूर दोनों को मिलाकर 15 गोली बना लें। 1-1 गोली प्रात: व सायं गरम पानी के साथ देने से सभी प्रकार की खांसी व श्वास रोग दूर होते हैं।
काली तुलसी की पत्ती का रस 1 चम्मच, 1 चम्मच पान का रस, दोनों को गरमकर 1 चम्मच शहद मिलाकर रोगी को चटाएं, लाभ होगा। सभी प्रकार की खांसी में गरम पानी पीना चाहिए और स्नान में भी ऐसे ही पानी का उपयोग करना चाहिए। कफ न निकलने की स्थिति में छाती पर पुराना घी, सरसों का तेल, मोम को बराबर मात्रा में गरम-गरम मालिश करने से लाभ होता है। इसमें कपूर भी मिला सकते हैं। मालिश के बाद पान की पत्ती गरम करके छाती पर रखकर रूई लगाकर बांधने से भी खांसी में आराम पहुंचता है।
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