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प्रश्न कुंडली से जाने बीमारी और स्वास्थ्य लाभ


ज्योतिष से आप अपनी सेहत के बारे में भी जान सकते हैं। जैसे कि चिकित्सा ज्योतिष से आप अपनी चिकित्सा संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, वैसे ही प्रश्न ज्योतिष की मदद से आप स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के बारे में जान सकते हैं और उपचार की दिशा में उचित मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। प्रश्न ज्योतिष ज्योतिष कि वह कला है, जिससे आप अपने मन की कार्यसिद्धि को जान सकते हैं। कोई घटना घटित होगी या नहीं यह जानने के लिए प्रश्न लग्न देखा जाता है। इसी तरह प्रश्न कुंडली से ज्ञात किया जा सकता है कि स्वास्थ्य लाभ कब होगा। शरीर के अंग बारह भाव होते हैं। कुंडली में बारह भाव शरीर के विभिन्न अंगो को बताते हैं। सभी भाव रोग के किसी न किसी स्थान को सूचित करते है। 

प्रथम भाव: मस्तिष्क एवं स्नायु तंत्
द्वितीय भाव:चेहरा, गला, कंठ, गर्दन और आंख से संबद्ध रखता है।
तीसरा भाव: कंधा, छाती, श्वास, नस।
चतुर्थ भाव: स्तन, आन्त्र क्षेत्र, पाचन तं
पंचम भाव: हृदय, रक्त, पीठ, रक्तसंचार।
षष्ठम भाव: उदर, पाचन तंत्र, कमर
सप्तम भाव: गुर्द
अष्टम भाव: गुप्त अंग, स्रावीतंत्र, मे
नवम भाव: जांघ, नितंब और धमनीं।
दशम भाव: घुटना, हड्डियां और जोड़।
एकादश भाव: पैर और श्वास।
द्वादश भाव: लसीका तंत्र और आंखें।

रोगी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के योग: लग्नभाव में स्थित बलवान ग्रह शीघ्र स्वास्थ्य लाभ देते हैं। यदि लग्नेश व दशमेश मित्र हो, तब भी स्वास्थ्य में जल्दी सुधार होता है। चतुर्थेश और सप्तमेश के बीच मित्रता होने से भी रोगी जल्दी स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करता है। लग्नेश का चंद्र के साथ संबंध हो और चंद्र शुभ ग्रहों के प्रभाव में या केंद्र में स्थित हो, तो इसे भी जल्दी स्वास्थ्य में सुधार का संकेत कह सकते हैं। इसी प्रकार शुभ ग्रहों के प्रभाव के अंतर्गत केंद्र में लग्नेश और चंद्र की स्थिति शीघ्र लाभ बताती है। इस योग में सप्तमेश वक्री नहीं होना चाहिए। सप्तमेश सूर्य या अष्टम भाव के स्वामी से प्रभावित नहीं होना चाहिए। 

चंद्रमा से रोग मुक्ति: अपनी राशि अथवा उच्च राशि में बलवान चंद्रमा किसी शुभ ग्रह के साथ संबंध बनाए, तो रोगी जल्दी रोग मुक्त होता है। चंद्र अगर चर अथवा द्विस्वभाव राशि में होकर लग्न या लग्नेश द्वारा दृष्ट हो, तो भी शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की संभावना बनती है। इसी प्रकार जब चंद्रमा अपनी राशि में चतुर्थ अथवा दशम भाव में स्थित होता है। शुभ ग्रहों से दृष्ट चंद्र अथवा सूर्य एक, चार या सातवें भाव में स्थित हो, तब भी जल्दी स्वास्थ्य लाभ मिल सकता हैं।

स्वास्थ्य लाभ में विलंब:  प्रश्न ज्योतिष के अनुसार यदि लग्नेश और दशमेश के बीच अथवा चतुर्थेश और सप्तमेश के बीच शत्रुता हो, तो रोग और बढ़ जाता है। कुंडली में षष्टेश से रोग को देखा जाता है। यदि किसी प्रश्न कुंडली में छठे, आठवें अथवा बारहवें भाव के साथ संबंध बनाए, तो स्वास्थ्य लाभ की संभावना बहुत कम होती है। लग्न में चंद्र अथवा शुक्र की उपस्थिति होने से जल्दी रोगमुक्त होने की संभावना नहीं बनती है।

प्रश्न कुंडली में लग्नेश एवं मंगल की युति का होना भी स्वास्थ्य लाभ के संदर्भ में शुभ फलदायी नहीं होता है। द्वादश भाव में लग्नेश स्थित हो, तो रोगी देर से रोगमुक्त होता है। इसी प्रकार यदि लग्नेश छठे या आठवें भाव में स्थित हो और अष्टमेश केंद्र में स्थित हो, तो रोगी शीघ्र रोग मुक्त नहीं हो पाता है। 

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