मट्ठे से करें रोग शांत ( Cuajada and Remidies)
दही से मक्खन निकालने की प्रक्रिया में बचा हुआ तरल पदार्थ मट्ठा कहलाता है। पेट संबंधी रोगों के लिए यह खास प्रभावी माना जाता है और कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
दही को बिलोकर उसमें से मक्खन निकालने के बाद जो दूध जैसा पतला पदार्थ रहता है, उसे ही मट्ठा या छाछ कहते हैं। घर में आसानी से बनाया जाने वाला मट्ठा गरम, हल्का, खट्टा, पाचक, शक्तिवर्द्धक होता है। यह कफ नष्ट करने वाला, बवासीर तथा पीलिया में बहुत लाभदायक है। पेट में पहुंचने पर इसका पाक मीठा होता है। मट्ठा छाछ लगभग एक ही पदार्थ होते हैं। छाछ नमकीन और मट्ठे के मुकाबले पतली होता है। इसका सेवन भी शरीर के लिए लाभप्रद माना गया है, पर मट्ठे को ज्यादा लाभदायक माना जाता है। सर्दी के दिनों में मट्ठा विशेष लाभकारी है, लेकिन गर्मियों में इसका सेवन अधिक नहीं करना चाहिए। बेहोशी और रक्त-पित्त आदि रोगों में मट्ठे का सेवन नहीं करना चाहिए।
- एक कप मट्ठा में दो कप पानी मिलाकर पीने से अम्लपित्त नष्ट होता है।
- मट्ठे में पुराना गुड़ मिलाकर पिएं। मूत्र रोग से छुटकारा मिल जाएगा।
- सूखे आंवले का 5 ग्राम चूर्ण मट्ठे के साथ खाने से हृदय की दुर्बलता नष्ट होती है।
- आधा चम्मच प्याज के रस में थोड़ा-सा मट्ठा मिलाकर पिएं। आंतों के कृमियों से छुटकारा मिल जाएगा।
- एक कप मट्ठा में 5 ग्राम फिटकरी डालकर एक-एक घंटे बाद इसका सेवन करने से हैजा में लाभ होता है। एक कप मट्ठे में आधी चुटकी कपूर मिलाकर सेवन करने से स्वप्नदोष से छुटकारा मिल जाएगा।
- एक गिलास मट्ठे के साथ एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन दो माह तक करने से मोटापा नष्ट होता है।
- मुलैठी का तीन ग्राम चूर्ण मिलाकर मट्ठा-पानी पीने से शारीरिक दुर्बलता दूर होती है।
- यदि दोपहर में भोजन के बाद पानी की जगह मट्ठा पिया जाए, तो पेट के रोग नहीं होते।
- मट्ठा में चीनी मिलाकर पीने से पित्त रोग से छुटकारा मिलता है।
- यदि मूंगफली के अधिक सेवन से अजीर्ण हो जाए, तो मट्ठा पिएं। रोग दूर हो जाएगा।
- पीपल, काली मिर्च, जवाखार, सेंधा नमक और सोंठ, इन सबका चूर्ण बनाकर मट्ठे में मिलाकर पिएं। वात, कफ तथा पित्त के कारण उत्पन्न उदर रोग दूर हो जाएंगे।
- यदि कब्ज हो या पतले दस्त आते हों, तो काला नमक और अजवायन का चूर्ण मट्ठे में डालकर सेवन करें, लाभ होगा।
- अदरक, पुदीना, काला नमक और नींबू की चटनी बनाकर मट्ठे में मिलाकर पिएं। भोजन के प्रति अरुचि दूर हो जाएगी।
- यदि अत्यधिक पित्त बढ़ने के कारण उदर विकार हो, तो खांड़ और कालीमिर्च का चूर्ण बनाकर मट्ठे में मिलाकर पिएं, लाभ होगा।
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