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हनुमान चालीसा (The Power of Hanumaan Chalisa)

हम अपनी इच्छा पूर्ति के लिए कई तरह की उपासनाओं का सहारा लेते हैं। इन्हीं उपासनाओं में से एक है हनुमान चालीसा का पाठ करना। इसमें मात्र चालीस दोहों की स्तुति होती है, जो अपने इष्ट को प्रसन्न करने की सरलतम विधि मानी जाती है। हनुमान चालीसा का पाठ कोई भी कर सकता है क्योंकि इसकी भाषा भी सरल है। इसके पाठ से चार पुरुषार्थों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की सहज ही प्राप्ति होने की बात भी शास्त्रों में बताई गई है। इसमें लिखी पंक्तियां हनुमत से सर्व सुख करई... और देवता चित्त न धरई... संकट कटै मिटै सब पीरा... आदि का पाठ अलग अनुभूति देता है। 

हनुमान चालीसा से वह सबकुछ प्राप्त हो सकता है, जो बड़ी-बड़ी साधनाओं से भी नहीं मिल पाता। इसकी उपादेयता विषम है। इसके हर दोहे में अलग-अलग शक्ति निहित है। मसलन पहले दोहे का पाठ करने से भक्त सारे दोषों से मुक्त हो जाते हैं। जबकि दूसरा दोहा उनमें कठोरता लाता है, जिससे वह हर कठिनाई का मुकाबला कर सकें। इसी तरह तीसरा दोहा पढ़ने से भक्त को बुरी संगति से मुक्ति मिल जाती है। जबकि सांतवी और आठवीं चौपाई से भक्तों में भक्ति की भावना जाग्रत होती है और वे भगवान राम का भी कृपापात्र बन जाते हैं। यदि ग्यारहवीं चौपाई पढ़ी जाए, तो यह भक्तों को सर्पों के भय से मुक्त करती है तथा हनुमान चालीसा की बारहवीं चौपाई भाईयों में विवाद समाप्त करने में प्रभावशाली मानी जाती है। 

इसी तरह हनुमान चालीसा की 13वीं, 14वीं और 15वीं चौपाई से उन्हें जीवन में यश की प्राप्ति होती है। इस प्रकार हनुमान चालीसा की सारी चौपाइयों का नियमित पाठ करने से भक्त सारे मानवीय बंधनों से मुक्त होकर दिव्य स्वरूप के हो जाते हैं। भगवान हनुमान जी तरल और विरल, साकार और निराकार दोनों ही हैं। वे अपने भक्तों को हर मुश्किल घड़ी से निकालते हैं। कभी वह विराट रूप धारण करते हैं, तो कभी सूक्ष्म। रुद्र के ग्यारहवें अवतार माने जाने वाले भगवान हनुमान शिव के परम तत्व माने गए हैं।

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