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Cure Ghost Problem (भूत बाधा से मुक्ति के लिए)

भूत आदि बाधा से मुक्ति के लिए: आज के युग मे भूत और प्रेतो की बात करना बेमानी सी हैं। मेरी उमर तीस वर्ष से भी कम हैं परंतु जब मै भूत और प्रेतो की बात करता हूँ तो बहुत से लोग और खासकर लडकीयाँ तो मेरा मजाक बना लेती हैं। यदि आप भूत और प्रेतो से मिलना ही चाहते हो तो आपको श्री बाला जी मन्दिर महन्दीपुर अवश्य जाना चाहिए क्योकि वहाँ पर आपको स्वयं ही अनुमान हो जायेगा कि यह अतृप्त आत्माएँ कितनी खतरनाक और भोली होती हैं। यह कभी उमर और लिंग के भेद को समझे बिना ही अपनी तृप्ति का मार्ग खोजने मे लगी रहती हैं। यहाँ पर मैने अधिकत्तर जवान लडकीयोँ को ही इनके प्रभाव मे देखा हैं। सामान्यत भूत प्रेतो कीकर या बबूल, रेलवे लाइन, चौराहो, शमशान, किसी सुंसान जगह जहाँ सूर्य का प्रकाश ना पहुचता हो, दिन और रात के मध्य मे ही मिलते हैं और किसी को भी प्रभावित कर सकते हैं। यह केवल तभी किसी व्यक्ति को प्रभावित करते हैं जब वो कोई दूध की बनी कोई मिठ्ठी, कढी, या दूध की बनी कोई और वस्तु खाकर उपोरोक्त स्थानो पर जाये। क्योकि दूध चन्द्रमा की वस्तु हैं। कमजोर मन या आत्मा सब कही ना कही चन्द्र्मा से सम्बन्धित हैं। आप यह भी कह सकते हैं कि चन्द्र्मा की कोई वस्तु खाकर राहू के स्थान पर यदि कोई व्यक्ति मिला तो वह भूतो और प्रेतो का शिकार हो जाता हैं। चोराहा, शमशान, रेलवे लाइन आदि स्थान राहू के हैं। राहू चन्द्र्मा को एकदम प्रभाव हीनकर छा जाता हैं और ऐसे मे कोई भी व्यक्ति इनका शिकर हो सकता हैं। सुगन्धित वस्तु, इत्र, सिन्दूर आदि पर भी यह अकर्षित होते है। इसलिए इन चोजो से भी सावधान रहना चाहिए या कहे इन सब वस्तु का उपयोग कर उपरोक्त स्थानो पर ना जाये तो खतरा वना रहता हैं। यदि किसी को यकीन ना हो तो उपरोक्त वस्तुओ को ग्रहण कर उपरोक्त स्थानो पर भ्रमण करें शीघ्र ही प्रभाव नजर आ जायेगा। मैने कभी कभी देखा कि किसी व्यक्ति की आत्मा इतनी कमजोर होती हैं कि उसके शरीर मे 7-7 भूत प्रेत घुस जाते हैं और निकलने का नाम ही नही लेते। खासकर भूत प्रेत लडकीयोँ, बुडो और बच्चो को जल्दी अपने प्रभाव मे ले लेते हैं। यह इतने खतरनाक हैं कि कभी कभी तो यह किसी किसी को संतान सुख से भी वंचित कर देते है या संतान नही होने देते क्योकि यह गर्भ को धारण करते ही पेट मे समाप्त कर देते हैं। बहुत सारे भूत नोनवेज होते हैं। यह भी हमारी तरह ही होते हैं। जो व्यक्ति नोनवेज को ग्रहण करते हैं और उनकी अचानक किसी कारण से मृत्यु हो जाये तो वो मरने के बाद भी नानवेज की ही मागँ करते हैं। इनमे और हम मे केवल शरीर मात्र का अंतर होता हैं बाकी सब कुछ सामान ही होता हैं। 

यह तो कारण की हैं आइए अब बात करे निवारण की।: सामान्यत तो यही प्रयास किया जाता हैं इन प्रेत आत्मा से सम्पर्क कर इनकी मागँ पुछकर इन संतुष्ट कर विदा किया जाये। क्योकि हम इनको मंत्रो से केवल प्रताडित कर सकते हैं सामाप्त नही कर सकते क्योकि आत्मा अजर अमर हैं। तो अच्छा यही रहता हैं कि इनकी मर्जी जानकर इन्हे प्यार से भेजा जाये। इस प्रयोग को केवल मंगलवार या शनिवार की सन्ध्या को ही करें। समाधान के लिए एक लाल कपडा, ताम्बे का पैसा, शुद्ध सिन्दुर (जिसे स्त्रीयाँ लगाती हैं), गुड, काले तिल और दो-चार प्रकार की दाल, साबुत नमक पाचँ नग, साबुत मिर्च-पाचँ नग लेकर उस लाल कपडे मे बांधकर रोगी के उपर से सात बार वार कर इस पोट्ली को रेलवे लाइन के पार फैक आये। ध्यान रहे जाते समय किसी से बात ना करें और सामान पोटली से बाहर ना निकले। चुपचाप घर वापस आ जाये किसी से बात करना मना हैं। 

अन्य प्रयोग ग्रहण काल मे गन्धमांसी की जड जोकि उतर दिशा की और निकल रही हो ले आये। इस जड की एक अगुठी बना ले और धारण कर ले इससे जिन्दगी मे भूत प्रेत पिशाच दोबारा कभी उस व्यक्ति के पास वापस नही आते। इनके अलावा कई प्रयोग हैं जो समय समय पर दिये जायेगे। 

ध्यान देने योग्य बात यह हैं कि माँ महाकाली से किसी भी प्रकार की असुरी शक्ति छिप नही पाती। कई बार ऐसा होता हैं कि छोटे मोटे सिद्ध से यह शक्तियाँ छिप जाती हैं या फिर शरीर छोडकर जाने को तैयार नही होती। ऐसे मे माँ महाकाली की शरण बिना एक पल की देरी किये बिना लेनी चाहिए नही तो बहुत बार यह ग्रसित व्यक्ति के प्राण भी ले लेती हैं। माँ महाकाली की शक्ति और सिद्ध बडी ही सरलता से इनका निवारण भी कर देता हैं। माँ महाकाली और भैरव के समरण मात्र से ही अशरीरक शक्ति भाग जाती हैं। मंत्रो मे औरे सिद्धो मे एक विशेष प्रकार की उर्जा रहती हैं जिसे यह नकारात्मक शक्ति ज्यादा देर सहना नही कर पाती और इनको जाने के लिए विवश होना ही पडता हैं। 

॥ इति शुभम ॥

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