Mastery of Jai Jagdambe Maa
नवरात्र व्रत नवीन चेतना, कर्तव्यबोध, आत्मचिंतन, रामशक्ति के प्राकट्य महोत्सव का महान पर्व है। पृथ्वी, जल, अग्नि, पवन, आकाश, प्राण, प्रकृति के अणु-अणु व्याप्त है और जितनी भी वस्तुएं हैं, उनमे जो शक्ति है, वहीं जगजननी सिंह वाहिनी मां दुर्गा हैं। देवी के अंतःकरण में अवतरण का पर्व चैत्र नवरात्र व्रत है। प्रातः काल मां भगवती का स्मरण कर पलक खुलते ही दोनों हाथों की हथेलियों को देखते हुए इस श्लोक का पाठ करें।
कराग्रे वसते। करमूले स्थिते गौरी प्रभाते करदर्शनम्।
भूमि वंदन: जगजननी मां पृथ्वी के रूप में प्रकट हैं, जो हमें धारण करती हैं। अन्न, फल, फूल, वनस्पति, जल सभी प्रदान करती हैं, जिसकी रज से ऋषि, महर्षि, रामकृष्ण, सभी की उत्पत्ति हुई है। पृथ्वी माता का हाथ से स्पर्श करके इस श्लोक का वंदन करें,
समुद्र वसने देवि पर्वत स्तन मंडिते।
विष्णु पत्निं नमस्तुभ्यं पादस्पर्शम् क्षमस्त में।
विष्णु पत्निं नमस्तुभ्यं पादस्पर्शम् क्षमस्त में।
शौच से पूर्व ताम्र पात्र में भरे जल से नेत्रों में छीटें देकर मुंह धो लें तथा बैठकर “ॐ शांतिः” का उच्चारण करते हुए क्षमतानुसार जल का सेवन करें। इससे स्वास्थ्य ठीक रहेगा।
प्रातः स्नान का मंत्र:
गुणदश स्नानपरस्य साधो रूपं च तेजश्च बलं च शौचम् आयुष्यम्आरोग्यमलोलुपरपम् दुश्चस्पनाशभ्य तपश्च मेधा।
यानी तेज, रूप, बल, पवित्रता, आयु, आरोग्य, दुःस्वप्न का नाश, तप और मेधा ये दस गुण स्नान करने वालों को प्राप्त होते हैं।
तुलसी, काली मिर्च आदि का सेवन तुलसी की पांच पत्तियों का स्नान के उपरांत सेवन करने से रक्तचाप नियंत्रित होता है। नीम की छोटी-छोटी पत्तियों का सेवन करने से कैंसर कृमि एवं ग्रीष्म ऋतु में फोड़े, फुंसी आदि विकारों से मुक्ति मिलेगी। काली मिर्च के सेवन से पित्त पर नियंत्रण होगा एवं हींग के कण को जल से सेवन करने से उदर विकार की निवृत्ति होगी।
मां के नाना, अस्त्र-शस्त्र एवं सिंह वाहन का रहस्य: सिंह संयम, पराक्रम, साहस, निर्भयता, का मूर्तिमान स्वरूप है। मां अपने भक्तों को जगाती है। यदि जीवन में आध्यात्मिक एवं लौकिक उत्कर्ष चाहिए, तो संयमी बनो भगवती का अवलंबन लो। सिंह के चार पैर ब्राह्मण, क्षत्रिय, शुद्र एवं वैश्य यथा ज्ञान, शौर्य, समृद्धि एवं सेवा के समन्वयात्मक भाव के द्योतक हैं। मां का त्रिशूल दैहिक, भौतिक, आसक्ति, मन विकार की निवृत्ति का निवारक है। पाप रहित और स्थिर मन ही तरकश है। मन की शांति, संयम, अहिंसा, तप, सत्य, पवित्रता, त्याग, स्वाध्याय, ये ही दिव्य ज्योर्तिमय शस्त्र हैं।
हवन का रहस्य: हवन में हम पौष्टिक वनस्पति, जड़ी-बूटी, देशी घृत डालते हैं। इससे पर्यावरण शुद्ध होता है। स्वास्थ्य भी उत्तम होता है। इन दिनों विधि-विधान पूर्वक कलश आदि स्थापित करके अनुष्ठान करें और कम से कम पहले एवं अष्टमी के दिन व्रत रखें। हवन करवाने व कन्या पूजन करने से मन निर्मल होता है। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। अगर संस्कृत में नहीं कर सकते हैं, तो हिंदी भाषा में ही करें। मां भगवती की कृपा मिलेगी।
मै अपनी पत्नी के स्वभाव से परेसान हूँ घर मैं ठीक से नहीं रहती है सभी को उल्टा सीधा कहती रहती है खाश कर मेरी माता और विधवा भाभी को देखना नहीं छाती है उसके परिवार वाले जैसा कहते हैं वैसा ही करती है मेरी बात नहीं सुनती है कुछ ऐसा उपाय बताये जिशसे वो ठीक से रहने लगे और और उसके परिवार से ज्यादा सम्बन्ध न रहे
ReplyDeleteश्री मान राजेश जी इस बात के लिए मात्र एक सप्ताह और एक घंटे की साधना काफी है। एक बार मे ही ठीक हो जायेगी। जिन्दगी मे अपने मायके नही जायेगी। यह साधना जगदम्बा की ही है। गोपनीय होने के कारण यहाँ ज्यादा नही लिखा जा सकता है। साधना बहुत ही तीव्र है। कृपा ईमेल पर ही सम्पर्क करे ताकि साधना की जानकारी दी जा सके।
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