Various Gayatri Mantra
गायत्री मंत्र का जप तो हर किसी के लिए लाभदायक माना जाता है, पर इसके साथ ही गायत्री रक्षा कवच भी किसी भी व्यक्ति के लिए लाभप्रद हो सकता है। गायत्री मां का समर्पित इस कवच का पाठ यदि तीन संध्याओ में श्रद्धा भाव से किया जाए, तो हंस वाहिनी, ब्रह्म-रूपा, विष्णु-रूपा, शिव-रूपा मां साधक की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है। करीब हजार वर्षों से गायत्री मंत्र का प्रभाव बना हुआ है। खासकर अपनी जिंदगी से नाखुश, कठिनाईयों से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए गायत्री मंत्र से सिद्ध गायत्री कवच को धारण करना शुभ फलदायी माना जाता है। इस कवच के लिए पहले विनियोग करें और इसके बाद ध्यान करके कवच का पाठ आरंभ करें।
विनियोग के लिए सीधे हाथ मे जल लेकर कहे।
ॐ अस्य श्री गायत्री कवचस्य ब्रह्मा ऋषि, गमिनी छन्दो, गायत्री देवता, ॐ भूर् बीजम्, भुवः शक्ति, स्वः कीलकम्, गायत्री प्रीत्यर्थं जपे विनियोगः।
जल छोड दे। इसके बाद गायत्री ध्यान मंत्र करें फिर कवच और मंत्र जप करें।
मूल गायत्री मंत्र जाप करने से अति प्रभावशाली परिणाम आते है। इसके लिये विशेष रुप से किसी नियम की आवश्यकता नहीं है परंतु परान्न के सेवन से बचे। इस मंत्र को किसी भी समय जप कर सकते हैं। नियमित जप करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
गणेश जी की कृपा पाने के लिए गणेश गायत्री
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंति प्रचोदयात् ॥
हनुमान जी की कृपा पाने के लिए हनुमान गायत्री
ॐ अंजनी जाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो हनुमान प्रचोदयात् ॥
शिव कृपा पाने के लिए शिव गायत्री मंत्र का पाठ सरल एवं अत्यंत प्रभावशील है। शिव गायत्री
ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।
शारीरिक रोग एवं विकार को दूर करने के लिये इस मंत्र को प्रातः काल जपे। सूर्य गायत्री
ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात् ॥
मानसिक क्लेश, चिन्ता, अवसाद एवं निराशा से मुक्ति चन्द्र गायत्री
ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृततत्त्वाय धीमहि तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात् ॥
पति-पत्नी के बीच कभी क्लेश नहीं होने के लिए वरुण गायत्री
ॐ जलबिंबाय विद्महे नीलपुष्पाय धीमहि तन्नो अम्बुः प्रचोदयात् ॥
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