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Diseases by Lagnesh

लग्नेश नीच राशि का स्वामी होकर जिस भाव में बैठे उसी भाव का रोग प्रदान करता है। 

जैसे मेष लग्न में चतुर्थ भाव में नीच का मंगल यानी कर्क राशि का मंगल हो, तो छाती या फेफड़े के रोग की आशंका होती है। 

यदि वृषभ लग्न में पंचम स्थान शुक्र नीच का होता है। यह पेट संबंधी परेशानी देता है। 

मिथुन लग्न में बुध मीन राशि में दशम स्थान का होने की वजह से घुटने या पीठ की पीड़ा के रोग देता है। सिंह लग्न में तृतीया स्थान में सूर्य हो, तो सांस के रोग होने की आशंका रहती है। कन्या लग्न में सप्तम भाव में बुध के होने पर जातक को छिपी हुई बीमारियां होने की आशंका रहती है। इसी प्रकार तुला लग्न में द्वादश भाव में शुक्र नीच का हो, तो बायीं ओर के अंगों में परेशानियां होती हैं। यदि वृश्चिक लग्न की कुंडली है, तो मंगल नवम भाव में नीच का होने पर जातक का नौवां अंग रोग ग्रस्त रहता है। यदि धनु लग्न में गुरु द्वितीया भाव में नीच का होता है, तो जातक को मुख संबंधी रोग होने की आशंका ज्यादा रहती है। इसी प्रकार मकर लग्न की कुंडली में शनि चतुर्थ स्थान में नीच का होने पर जातक को छाती व फेफड़े के रोग होने की आशंका रहती है। 

अगर किसी जातक की कुंडली में कुंभ लग्न में शनि तृतीया भाव में नीच का हो, तो जातक को सांस की नली के रोग होने की आशंका अधिक रहती है। अगर जातक की कुंडली में मीन लग्न हो और इसमें गुरु एकादश भाव में नीच का हो, तो जातक के ग्यारहवें अंग यानी पिंडलियों में कई कष्ट होने की आशंका बढ़ जाती है।

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