Venus, Love and Sex Life
शुक्र को राजसी गुणों से युक्त ग्रह कहा जाता है। यह सौर परिवार का सबसे चमकीला ग्रह है। ज्योतिष में इसे प्रेम, सौंदर्य, भौतिक संपदा और आनंद का प्रतीक भी मानते हैं। शुक्र देव दानवों के गुरु हैं। इनके पिता का नाम कवि और इनकी पत्नी का नाम शतप्रभा है। ये
बृहस्पति की तरह ही शास्त्रों के ज्ञाता, तपस्वी और कवि हैं। इन्हें सुंदरता का प्रतीक
माना गया है। शुक्र की महादशा 20
वर्ष की होती है। यह वृष और तुला राशि के स्वामी हैं। तुला
राशि में यह विशेष बली होता है,
जबकि मीन में उच्च का और कन्या में नीच का होता है। यह एक
राशि में डेढ़ मास तक विचरण करता है। कुंडली के बारहवें भाव पर इसका विशेष प्रभाव
होता है। कुंडली में शुक्र मजबूत होना यानी समस्त सुखों का मिलना है। यह अशुभ होने
पर दांपत्य जीवन में कष्ट देता है। इसके अलावा अंगूठे में दर्द का रहना, त्वचा संबंधी समस्याएं होना, गुप्त रोग आदि कमजोर शुक्र
की निशानी हैं।
कब
होता है कमजोर: कुंडली
में शुक्र के साथ राहु का होना अर्थात् स्त्री तथा दौलत का असर खत्म होना है।
क्योंकि राहु शुक्र को कमजोर कर उसके प्रभाव को खत्म कर देता है। इसी तरह यदि शनि
भी नीच का हो, तब भी
शुक्र का बुरा असर होता है।
शुभ
की निशानी: शुक्र
के शुभ होने की स्थिति में आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। स्त्रियां स्वत: ही
आकर्षित होने लगती हैं। व्यक्ति धनवान और साधन-संपन्न होता है। शुक्र का बल हो, तो ऐसा व्यक्ति ऐशो-आराम में
अपना जीवन बिताता है। फिल्म या साहित्य में इनकी विशेष रुचि होती है।
शुक्र के लिए क्या उपाय करना चाहिए। मेरे गुरुदेव ने एक बार कहा था कि चोर को ना पकडकर चोर की माँ को पकडना चाहिए। जब हम किसी चोर को पकडेगे तो ज्यादा से ज्यादा एक बार ही दड दे सकते हैं जबकि उसकी माँ से शिकायत करने से उसमे सुधार होने की गुंजाईश बहुत हद तक बढ जाती हैं। इसलिए ग्रह जब हमारे जीवन मे से सुखीयाँ चुरते हैं तो इसकी शिकायत जगत माता से ही करनी चाहिए और उसकी शरण मे जाना उत्तम हैं। सभी नक्षत्र और ग्रह आदि केवल और केवल जगत माता की शक्तियों से ही संचालित हैं।
शुक्र
की अधिष्ठात्री देवी मां महालक्ष्मी हैं। अत: शुक्र के लिए मां महालक्ष्मी की उपासना भी
कर सकते हैं। प्रत्येक शुक्रवार को मां महालक्ष्मी के समक्ष घी का दीपक जलाकर महालक्ष्मी
चालीसा और महालक्ष्मी स्तोत्र या श्री सूक्त का पाठ करें। शुक्रवार के दिन महालक्ष्मी का व्रत करें। खीर अथवा खोवे की बर्फी मां को अर्पित करें। (लक्ष्मी नाम की एक यक्षिणी है जोकि देवी कालिका के साथ रहती है जब्कि जगत माता का एक रुप महालक्ष्मी हैं। दोनो मे अंतर समझे)
शुक्रवार के दिन महालक्ष्मी पुजन या ‘ ॐ शुं शुक्राय नम:’ मंत्र का जाप स्फटिक की माला
से करें।
सफेद
वस्त्र व वस्तुओं का दान करें।
भोजन
का कुछ हिस्सा गाय, कौवे
और कुत्ते को खिला दें।
दो
मोती लें। उनमें से एक मोती को पानी में बहा दें और एक अपने पास रखें।
सुगंधित
इत्र या सेंट का उपयोग करें। पवित्र बने रहें।
रत्न
धारण करें : शुक्र का रत्न हीरा है। इसको धारण करने से शुक्र की कृपा आपके ऊपर
बरसती रहती है। यदि हीरा नहीं धारण कर सकते हैं, तो आप स्फटिक, ओपल, सफेद मूंगा भी पहन सकते हैं। लेकिन किसी भी
रत्न को पहनने से पहले ज्योतिषी की सलाह लें।
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