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Some Vastu Tips


वास्तु एक ऐसा शास्त्र है, जो घर में रहने वाले लोगों के लिए सुख व शांति की व्यवस्था करता है तथा दु:ख-आपत्ति के निवारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके लिए वास्तु शास्त्र में कई नियम दिए गए हैं। इनका पालन कर आप अपने घर में खुशियां ला सकते हैं। साथ ही कई परेशानियों, हानि एवं असफलताओं आदि से बच सकते हैं।
भवन को इस प्रकार बनवाना चाहिए, जिससे उसमें रहने वाले लोगों को प्राकृतिक वायु, प्रकाश तथा सूर्य की किरणें मिलती रहें।

भवन की पूर्व दिशा में ऊंचे वृक्ष और ऊंचे भवन नहीं होने चाहिए। पश्चिम दिशा में वृक्ष लगाना उत्तम होता है।


मकान के सामने बेर की झाड़ी, कांटों या महुआ के पेड़ आदि नहीं लगवाने चाहिए। यदि इन पेड़ों को हटवाया न जा सके, तो भवन और इनके बीच मौलश्री, अशोक, पुन्नाग या शाल का पेड़ लगा देना चाहिए।

घर में नारियल, बेल, आम, अंगूर, अपराजिता, चंदन, जयंती, केसर, नीम, चमेली, केला, गुलाब, चम्पा आदि के वृक्ष तथा तुलसी का पौधा लगा सकते हैं।

व्यावसायिक कार्यालयों में ऑफिस की लॉबी बीच में, पूजाघर ईशान में, अकाउंट विभाग पश्चिम में, चेयरमैन का कक्ष ईशान में तथा प्रशासनिक कक्ष पूर्व में होना चाहिए।

फैक्ट्री, दुकान या भवन के सामने का द्वार बेध नहीं होना चाहिए।

फैक्ट्री, उद्योग, स्टॉल, होटल या कमर्शियल कॉम्प्लेक्स का ईशान कोण कभी अन्य दीवारों से ऊंचा नहीं होना चाहिए।

यदि फैक्ट्री के ईशान कोण को छोड़कर अन्य किसी दिशा में कुएं या गड्ढे हों, तो गृहस्वामी को क्लेश, हानि एवं दुख होता है। कारखाने आदि का मुख्य द्वार उत्तर, पूर्व या पश्चिम दिशा में होना चाहिए। घर या फैक्ट्री में जनरेटर आदि पश्चिम या दक्षिण दिशा में स्थापित करें।

फैक्ट्री का ब्वॉयलर हमेशा आग्नेय कोण में होना चाहिए।

वाहनों या जानवरों के लिए घर के वायव्य कोण में हॉल या कक्ष बनवाना चाहिए।

पूजा कक्ष में साधक का मुख पूर्व, ईशान या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।

दो विशाल भूखंडों के बीच में स्थित एक छोटा भूखंड उत्तम नहीं होता। उस पर निर्मित भवन से कष्ट होता है।

यदि रसोईघर ईशान कोण में हो, तो घर में कलह होता है।

भवन के बाहर वृक्ष इस प्रकार लगाएं कि उनकी छाया भवन पर न पड़े।

वर्षा का जल या कृत्रिम जल का प्रवाह हमेशा ईशान की ओर होना चाहिए।

घर के कक्ष में ईशान कोण से सटाकर मच्छरदानी की डंडियां, झाड़ू या फालतू सामान रखने से दरिद्रता का वास हो जाता है।

यदि ईशान कोण में शौचालय हो, तो कलह, फैक्ट्री में मजदूरों के संघर्ष तथा घर का मालिक रोगी हो सकता है। मैनें जब कई शौचालय इस कोण से हठवाये तो उस घर में धन-धान्य और कई प्रकार की समस्या को कुछ ही दिनों मे दुर होते देखा है। 

घर बनवाने से पहले शुभ मुहूर्त में भूमि पूजन और नींव पूजन कराना अनिवार्य है। भवन निर्माण के पश्चात विधिवत प्रतिष्ठा, वास्तु पूजा, गायत्री जप, गणपति पूजन, विष्णु पूजन, नवग्रह पूजन एवं ग्रह शांति हवन के साथ ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए।



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