Apsara Sadhana Mudra
अप्सरा साधना मे सबसे पहली मुद्रा किसी भी
अप्सरा को बुलाया जाता हैं। इसे अवाहनी मुद्रा भी कहते हैं। इसके साथ साथ अवाहन के
मंत्रो को भी पडा जाता हैं। अप्सरा को बुलाने के बाद बैठने के लिए इशरा किया जाता
है यानि कि उस देवी की स्थापना करी जाती हैं। इस प्रकार अप्सरा को बुलाने और स्थान
देने की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती हैं।
इसके उपरांत अप्सरा से उसका सानिध्य प्राप्त
करने के लिए एक मुद्रा बनाते हैं जोकि अप्सरा को उसकी कम्पनी हमे देने के लिए एक
शान्त प्रर्थाना होती हैं। इसके साथ साथ प्रेमिका मुद्रा का प्रदर्शन किया जाता
हैं जोकि गुस्से मे आई अप्सरा को शांत करता हैं। ऐसा कहा जाता हैं कि कोई भी
अप्सरा या यक्षिणी चाहे कितने भी गुस्से मे क्यों ना हो इस मुद्रा को देखते ही
शांत हो जाती है। इसके बाद एक अन्य मुद्रा से अप्सरा को यह
प्रदर्शन करते है कि हमारे और करीब आईये और हमसे बाते किजिये।
फिर प्रमुखी मुद्रा का प्रदर्शन कर अप्सरा को
यह सन्देश दिया जाता है कि आप हमारे लिए आप बहुमूल्य हो और आपके केवल अलावा इस जगत
मे मुझे कुछ भी नजर नहीं आता। या यह कहे कि मेरा संसार तो आप ही हैं।
फिर अमृत मुद्रा से यह प्रार्थना करी जाती हैं
कि हे अप्सरा जी, आपकी
साधना हमे अमृत के समान अमोघ फल देने वाली हो और आप और भी सरल बन जाईये। यह मुद्रा
कामधेनु गाय के समान होती है जोकि साधक के सभी प्रकार के मनोरथ को सिद्ध करती हैं।
साधक को अप्सरा के और करीब ले जाती हैं।
इसके बाद महामुद्रा का प्रदर्शन किया जाता हैं
जैसा इसका नाम ही बता रहा है कि यह मुद्रा की जननी हैं। ठीक ऐसे ही जैसे गायत्री
मंत्र।
इस प्रकार कुछ और भी मुद्रा का प्रदर्शन किया
जाता हैं जैसे जब अप्सरा बार बार हमारी पुकार को अंसुना कर देती हैं तो हमे उस पर
गुस्सा आने लगता हैं। इस गुस्से को भी हम कोध्र मुद्रा से अप्सरा को दर्शते हैं।
शाम दाम दंड भेद तो आप जानते ही हैं। यहाँ साधना मे दाम नहीं चलता बस। इसके
प्रदर्शन से तो अप्सरा आती ही आती हैं। हाँ कई बार वो गुस्से मे भी आ जाती हैं।
ऐसी ही एक मुद्रा हैं जैसे क्षोभ मुद्रा कहा
जाता है इसे भी साधक अपना गुस्सा प्रकट करने के लिए प्रदर्शन करता हैं। यह बनाने
मे थोडी कठीन भी हैं।
अप्सरा फीमेल होती है तो सेक्स की एक मुद्रा का
भी चलन है यह मुद्रा प्राय भैरवी तंत्र से जुडे साधक जानते ही हैं। इसमें भैरवी या
अप्सरा से सेक्स के लिए प्रार्थना करी जाती हैं। इसके बाद अप्सरा को अपने घर वापस
जाने के लिए प्रार्थना करी जाती हैं जोकि विसर्जन मुद्रा और मंत्र से होती हैं। इस
अलावा अप्सरा और यक्षिणी साधना मे कई 15-16 प्रकार की अन्य मुद्रा का भी चलन हैं जोकि
विपरीत परिस्थिति मे बहुत ही जरुरी हैं। प्रायः यक्षिणी साधना मे ऐसा देखा गया हैं
कि यक्षिणी बहुत बार बहुत ही गुस्से मे ही आती हैं और साधक को हानि पहुँचा सकती
हैं। इस समय कुछ खास मुद्राओ और मंत्रो का प्रदर्शन कर उसे कुछ ही सेकेंड मे शांत
कर देते हैं और वो आपसे दोस्ती करने के तैयार हो जाती हैं। मैं यहाँ इस लेख
को इससे अधिक नही लिख सकता और ना आगे कभी कुछ लिखुगाँ। ऐसा कहते है कि समझदार को
इशरा काफी। मैं क्षमा प्रार्थी हूँ। मैंने इस लेख या अन्य किसी भी अप्सरा या
यक्षिणी साधना के लेख को इस ब्लोग पर नही दिया है जोकि किसी का किसी भी प्रकार का
नुकसान करें।
Post a Comment